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रमजान उल मुबारक का पहली जुम्मा इस्लाम अकीदतमंदों ने शांतिपूर्ण ढंग से अदा की

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Gunjan Saha
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पूर्णेन्दु कुमार विमल@ समाचार चक्र

पाकुड़िया शुक्रवार को माह-ए-रमजान का पहले दिन जुमे को लेकर पाकुड़िया प्रखंड के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सुबह से ही रौनक बनी हुई थी।

प्रखंड के पाकुड़िया, ढेकीडुबा, राजपोखर, सोरला, फुलझींझरी, लकड़ापहाडी, डोमनगड़िया सहित सभी मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा की गई। सुबह से बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों में भी काफी उत्साह था।

पाकुड़िया जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती नूर आलम कासमी ने रोजे की फजीलत बयान करते हुए कहा कि रमजान का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए मुकद्दस का महीना है और उस पर जुमे की नमाज खास महत्व रखती है। यह दिन बहुत खास और पाक है। जुमे के दिन सभी नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में जाते हैं। एक महीने में चार जुमा होते हैं, आखरी जुमे को अलविदा जुमा कहते हैं। इस्लामिक कैलेंडर में चांद की तारीख के अनुसार त्योहारों की तारीख तय की जाती है। यही कारण है कि रमजान का महीना हर साल अलग-अलग तारीखों पर शुरू होता है। इस पूरे महीने में लोग अहले सुबह उठकर सहरी करते हैं और रोजा रखते हैं। शाम को इफ्तारी के साथ रोजा समाप्त किया जाता है। रोजा केवल भूख प्यास का ही नहीं, बल्कि रोजे की हालत में गलत कामों, गलत सुनना, बोलना इन सभी से बचना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा कुरान पाक की तिलावत और नमाज पढ़कर गुनाहों से तौबा करनी चाहिए।

इमाम मुफ्ती ने कहा कि रमजान में गरीबों की ज्यादा से ज्यादा मदद करें। अल्लाह एक नेकी के बदले 70 नेकियों का सवाब अता करता है।

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