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अनिवार्य सेवानिवृत्ति का ये कैसा फरमान, गर्भवती कर्मियों पर भी नहीं मेहरबान

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Gunjan Saha
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समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़। उपयुक्त मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने वैसे सरकारी कर्मियों के विरुद्ध अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव मांगा है, जिन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए निर्वाचन कार्यो से मुक्त करने की मांग को लेकर आवेदन दिया है। इस तरह के कर्मियों की सूची में कुल 30 कर्मचारी शामिल हैं। इन कर्मियों के आवेदन पर स्वास्थ्य परीक्षण के लिए मेडिकल टीम का गठन किया गया था। मेडिकल टीम के जांच उपरांत 30 कर्मियों को अनफिट पाया गया है। इन सभी अनफिट कर्मियों के विरुद्ध नियम अनुसार अनिवार्य सेवा निवृत्ति का प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा गया है। इन्हीं कर्मियों में से पांच गर्भवती कर्मी भी शामिल है। इनमें कोई शिक्षा विभाग तो कोई स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। इनके अलावा विभिन्न विभागों में कार्यरत शेष अन्य 25 कर्मियों के हृदय रोग या ऑपरेशन, पैरालिसिस, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, किडनी रोग से पीड़ित, छाती में बीमारी, दोनों पैर से विकलांग, लंबे समय से बीमार, ट्यूमर का ऑपरेशन, हाई प्रेशर इत्यादि बीमारियों से ग्रस्त होने की बातें कही गई है। इन कर्मियों के द्वारा आवेदन दिया गया था। आवेदन में लोकसभा आम निर्वाचन 2024 में चुनाव कार्यो से विमुक्त करने की मांग की गई थी। इन कर्मियों के स्वास्थ्य जांच के लिए मेडिकल टीम का गठन किया गया था। मेडिकल टीम के जांच रिपोर्ट के मुताबिक 30 कर्मियों को अनफिट पाया गया है। इसी आधार पर उपायुक्त मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने सभी के विरुद्ध अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव 4 सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराने को कहा है। उपायुक्त के आदेश पत्र में कहा गया है कि लोकसभा आम निर्वाचन 2024 के लिए मतदान पदाधिकारी के रूप में इन कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जानी है। कई कर्मियों के द्वारा अपने खराब स्वास्थ्य को आधार मानते हुए निर्वाचन कार्य से विमुक्त करने के लिए आवेदन दिया गया है। जिसके स्वास्थ्य परीक्षण के लिए मेडिकल टीम का गठन कर उनके स्वास्थ्य की जांच कराई गई। जिसमें कई कर्मियों को अयोग्य यानी अनफिट पाया गया है। उपायुक्त ने जारी पत्र में कहा है कि निसंदेह अपने दैनिक सरकारी कार्यों का भी निर्वहन नहीं कर पाते होंगे। ऐसे कर्मी बिना काम किए हर महीने वेतन की राशि प्राप्त कर रहे हैं।जिससे सरकारी खजाने पर बेवजह भार पड़ रहा है और यह स्वीकार्य नहीं है। उपायुक्त ने संबंधित विभागों के कार्यालय प्रधान को इन कर्मियों के विरुद्ध नियम अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव चार सप्ताह के अंदर उपलब्ध कराने को कहा है। उपायुक्त के आदेश के बाद इन कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं इस मामले में सूची में शामिल गर्भवती कर्मियों को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। इस सूची में शामिल गर्भवती कर्मियों पर भी मेहरबानी नहीं दिखाने की चर्चाएं हैं। आम लोगों में चर्चा है कि यह महिलाएं गर्भवती अवस्था में निर्वाचन का काम कैसे करेगी। अगर गर्भ अवस्था में काम कर भी लेती है, तो उन्हें तरह-तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इस परिस्थिति में गर्भवती कर्मियों को लेकर पुनर्विचार की जरूरत है।

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