समाचार चक्र संवाददाता
मुर्शिदाबाद। बीएसएफ दक्षिण बंगाल सीमांत की तीन महिला कांस्टेबलों ने बीएसएफ मालदा सेक्टर के अंतर्गत आयोजित 12 सप्ताह के सख्त ड्राइविंग एवं मेंटेनेंस प्रशिक्षण को न सिर्फ सफलता पूर्वक पूरा किया, अपितु परीक्षा परिणामों में पुरुष परीक्षार्थियों से आगे रह महिलाओं के काबिलियत और क्षमता पर उठते किसी संशय को निराधार साबित किया है। निसंदेह बीएसएफ की तीन महिला कांस्टेबलों के सराहनीय प्रदर्शन ने बल में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को निरंतर आगे बढ़ाने हेतू बल के प्रयासों को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की है। गत 9 जून से 30 अगस्त 2025 के मध्य आयोजित इस चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण में महिला कांस्टेबलों ने न केवल पुरुष कर्मियों के बराबर दक्षता प्रदर्शित की, बल्कि उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान भी अर्जित किए। प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रशिक्षुओं को बीएसएफ के हल्के एवं भारी वाहनों का संचालन तथा उनके रख–रखाव का गहन अभ्यास कराया गया। उच्च शारीरिक औऱ मानसिक स्तर की अनिवार्यता वाले इस प्रशिक्षण में महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में पुरुष कांस्टेबल भी प्रशिक्षित किए गए। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल सीमांत में पहली बार महिला कांस्टेबलों को प्रशिक्षित ड्राइवर के रूप में शामिल कर यह अपेक्षा की जाती है कि बल की गतिशीलता और परिचालन दक्षता को और अधिक सुदृढ़ता प्राप्त होगी। महिला आरक्षकों की उपलब्धि इस तथ्य को निर्विवाद रूप से प्रमाणित करती है कि नारी शक्ति किसी भी चुनौती का सामना करने में पूर्णतया सक्षम है। परंपरागत रूप से कुछेक जिम्मेदारियों के लिए महिलाओं को अनुपयुक्त माना जाता रहा है परंतु महिलाओं ने इस तरह की सभी मान्यताओं को अपने प्रदर्शन से ध्वस्त कर नारी शक्ति और क्षमता पर उठने वाले आधारहीन सवालों पर विराम लगाने का काम किया है। सीमा सुरक्षा बल में महिला कार्मिकों को उनकी क्षमता अनुरूप नित नयी चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी देना और उनके द्वारा उसका सफल निर्वहन न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है, बल्कि उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराने के दिशा में बीएसएफ नेतृत्व के सजग व प्रगतिशील दृष्टिकोण का भी प्रमाण है। दक्षिण बंगाल सीमांत के जनसंपर्क अधिकारी ने इस संबंध में हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि बीएसएफ की महिला कार्मिक न केवल सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं, बल्कि उन कार्यों को भी पूरी लगन और दृढ़ संकल्प के साथ कर रही हैं जिन्हें अब तक पुरुष प्रधान समझा जाता था। प्रत्येक कार्यक्षेत्र में अपनी क्षमता और दक्षता साबित कर, वे बल की शान और गौरव को लगातार नई ऊँचाइयों तक पहुंचा रही हैं।
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