ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। प्रतिकूल मौसम के बीच पेयजल की भारी किल्लत और कहीं न कहीं सिस्टम की गैर जिम्मेदार कार्यशैली से आक्रोषित हो ग्रामीण सड़क पर उतर आए। पीने के पानी की सहज उपलब्धता की यह मांग जड़ाकी पंचायत के उदलबनी गांव के ताला टोला के ग्रामीणों ने की है। सोमवार को दिन के करीब बारह बजे बेदम कर देने वाली धूप और गर्मी में ताला टोला की महिलाओं ने गांव से तीन किमी दूर स्थित पहाड़पुर गांव के निकट दुमका-पाकुड़ मुख्य मार्ग पर जल पात्र रख सड़क को अवरुद्ध कर दिया। सैकड़ों छोटे-बड़े माल व यात्री वाहक वाहन खड़े कर दिए गए। सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। सूचना मिलते ही बीडीओ प्रमोद कुमार गुप्ता, सीओ औसाफ़ अहमद खान, प्रभारी बीपीआरओ जिल्लूर रहमान, इंस्पेक्टर सह थाना प्रभारी अनुप रोशन भेंगरा, एसआई नर्मदेश्वर सिंह सहित पुलिस बल जाम स्थल पर पहुंचे। बीडीओ ने जाम का नेतृत्व कर रही महिलाओं को समझाया। हालांकि उन्हें महिलाओं के कुछ तीखे सवालों से दो-चार होना पड़ा। महिलाओं ने बीडीओ से पूछा कि आश्वासन के करीब 24 घंटे बाद भी गांव में पानी टैंकर क्यों नहीं पहुंचा ? पानी की व्यवस्था कब तक होगी? हमलोग खाना कैसे पकाएंगे ? मुखिया हमारी मदद करने में असमर्थ हैं। हालांकि उन्होंने धैर्य के साथ उनके स्वाभाविक सवालों को झेला। उन्हें समझाया और वो मान गए। तुरंत पानी टैंकर की व्यवस्था हुई। आधे-एक घंटे के मशक्कत के बाद सड़क जाम समाप्त हुई और आवागमन सुचारू हो गया।
पेयजल का इकलौता मुख्य स्रोत जर्जरकूप भी रविवार को घटित घटना से हुआ ध्वस्त
ताला टोला के ग्रामीण महिला-पुरुष मेंगराय मूर्मू, मास्टर मूर्मू, जूली मूर्मू, एलिजाबेथ मूर्मू, फूलमुनी हांसदा, मुन्नी मूर्मू आदि ने बताया कि करीब 40 संताल परिवार वाले इस टोले में पेयजल के लिए त्राहिमाम है। टोले का चापानल उपयोगहीन हो चुका है। टोले से करीब आधा किमी दूर स्थित वर्षों पुराना जर्जर कूप ही हमलोगों का मुख्य जल स्रोत था। रविवार को कूप के अंदर पहुंच सफाई के दौरान धंसना गिरने और लुकस किस्कू के उसमें आठ घंटों तक फंसने से यह जलस्रोत भी ध्वस्त हो चुका है। हालांकि आठ घंटों के अनवरत प्रयास से लुकस की जान बचा ली गई थी। किन्तु, व्यवस्था पर यह सवाल लाजिमी है कि यदि ग्रामीणों के बीच पेयजल उपलब्धता का कोई सुगम स्रोत होता तो लुकस उस जानलेवा कूप में घुसने की जहमत नहीं उठाता। प्रशासन को यह प्रयास जरूर करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटना की पुरावृत्ति न हो। इस घटना के बाद भी जनहित में व्यवस्था को जगना चाहिए और ससमय गंभीर पहल करना चाहिए। सरकार, विभाग, प्रशासन व जन प्रतिनिधियों को इस बुनियादी समस्या के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
