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आदिवासी व सरना धर्म कोड लागू किए बिना जाती जनगणना मंजूर नहीं- झामुमो

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Gunjan Saha
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समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को बाजार समिति के पास आदिवासी धर्म कोड और सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। जिसमें हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोगों के अलावा पार्टी के विधायक, पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आदिवासी समाज से पुरुषों के साथ-साथ काफी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। धरना प्रदर्शन में मुख्य अतिथि के रूप में महेशपुर विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी एवं लिट्टीपाड़ा के विधायक हेमलाल मुर्मू ने शिरकत किया। उनके साथ पार्टी के जिला अध्यक्ष एजाजुल इस्लाम, उपाध्यक्ष हाजी समद अली, पूर्व जिला अध्यक्ष श्याम यादव भी मुख्य रूप से शामिल हुए।

आयोजित धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए लिट्टीपाड़ा विधायक हेमलाल मुर्मू ने कहा कि केंद्र सरकार ने देशभर में जाति जनगणना करने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार आदिवासी समाज को नजर अंदाज करते हुए जाति जनगणना कराने का काम करना चाहती है। इसका झारखंड मुक्ति मोर्चा पुरजोर विरोध करती है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना कराने जा रही है और आदिवासी समाज को जाति की पहचान ही नहीं दिया जा रहा है, तो ऐसे में जाति जनगणना का फायदा ही क्या है। विधायक हेमलाल मुर्मू ने कहा कि झारखंड सरकार ने 11 नवंबर 2020 को विशेष सत्र बुलाकर आदिवासी धर्म कोड और सरना धर्म कोड विधेयक का प्रस्ताव पारित किया था। इसे राज्यपाल के जरिए अनुमोदन के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया था। लेकिन पांच साल बीत जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने इस पर कोई पहल नहीं किया। इससे भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार की मानसिकता साफ-साफ समझा जा सकता है। आदिवासी समाज की हित को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी की मानसिकता सही नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र सरकार आदिवासी धर्म कोड और सरना धर्म कोड विधेयक को मंजूरी नहीं देती है, तब तक हमें जाति जनगणना मंजूर नहीं। धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए महेशपुर विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी आदिवासी समाज की उपेक्षा कर रही है। झारखंड सरकार ने पांच साल पहले ही जब आदिवासी धर्म कोड और सरना धर्म कोड विधेयक के अनुमोदन के लिए केंद्र सरकार को भेज दिया था, तो इतने सालों तक क्यों नहीं पहला हुआ। केंद्र सरकार आदिवासी समाज प्रेम का ढोंग दिखाकर सिर्फ मगरमच्छ का आंसू रोना रोती है। आदिवासी समाज के प्रति केंद्र सरकार की कोई सहानुभूति नहीं है। अगर आदिवासी धर्म कोड और सरना धर्म कोड लागू नहीं किया जाता है, तो किसी भी सूरत में जाति जनगणना होने नहीं दिया जाएगा। झारखंड सरकार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के नेतृत्व में आदिवासी समाज को पहचान दिलाने के लिए धर्म कोड की लड़ाई जारी रहेगी। केंद्र सरकार को हर हाल में धर्म कोड लागू करना ही पड़ेगा। इधर धरना प्रदर्शन के बाद पार्टी के एक शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति के नाम उपायुक्त मनीष कुमार को एक मांग पत्र सौंपा। शिष्टमंडल और उपायुक्त के बीच आदिवासी धर्म कोड और सरना धर्म कोड को लेकर चर्चा भी हुई। उधर धरना प्रदर्शन में जिला उपाध्यक्ष हरिवंश चौबे, जिला सचिव माइकिल मुर्मू, केंद्रीय सदस्य श्याम यादव, निशा शबनम हांसदा, पोलिना मुर्मू, सुलेमान बास्की, पाकुड़ प्रखंड अध्यक्ष मुस्लोउद्दीन शेख, हबिबुर रहमान, सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

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