समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़ । जिले के हिरणपुर थाना क्षेत्र के मानसिंपुर में संचालित पत्थर खदान में विस्फोट के दौरान दो मजदूर घायल हो गए। घटना अहले सुबह करीब 6:00 बजे के आसपास का बताया जा रहा है। घायल दोनों मजदूर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के लखिनारायणपुर गांव के रहने वाले बताए जा रहे हैं। पत्थर खदान में विस्फोट में घायल हुए मजदूरों में 28 वर्षीय मखैर शेख (पिता- समीर शेख) एवं 26 वर्षीय अंजु शेख (पिता- अलताब शेख) शामिल है।
मिली जानकारी के मुताबिक पत्थर खदान में सुबह-सुबह ही विस्फोट किया जा रहा था। पत्थर खदान में काम करने वाले दोनों मजदूर वहां मौजूद थे। इसी दौरान दोनों को चोट लगी। आनन-फानन में दोनों मजदूरों को शहर स्थित एक प्राइवेट नर्सिंग होम (डॉक्टर बिंदुभूषन) में भर्ती कराया गया। घायल मजदूरों में मखैर शेख की स्थिति नाजुक बनी हुई है।
सूत्रों के मुताबिक पत्थर खदान का मालिक मुफस्सिल थाना क्षेत्र के जानकीनगर गांव के जियाउल शेख है। वहीं सूत्रों का दावा है कि घटना के वक्त खदान मालिक जियाउल शेख खदान में ही मौजूद थे। लेकिन जैसे ही घटना घटी, वह तुरंत अपने निजी वाहन से निकल पड़े। पुलिस से भी घटना को छुपाने की कोशिश की गई।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि पुलिस को घटना की जानकारी मिल चुकी है। लेकिन खदान मालिक के द्वारा कानूनी कार्रवाई से बचने की हर संभव कोशिश की जा रही है। सूत्रों का यह भी दावा है कि हादसा अवैध विस्फोट के चलते हुआ है। पत्थर खदान मालिक का मैगजीन हाउस नहीं है। अवैध तरीके से खदान में विस्फोट किया जाता है। यह घटना भी अवैध विस्फोट से जुड़ा है। यह भी बताया जा रहा है कि विस्फोटक पदार्थ भी अवैध रूप से इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल यह जांच का विषय है। यह देखना होगा कि पत्थर खदान मालिक जियाउल शेख घटना के दौरान मौजूद थे, लेकिन वहां से निकल क्यों गए। अगर वैध तरीके से काम चलता, तो घटनास्थल से तुरंत भागने की नौबत नहीं आती। घायल मजदूरों के इलाज का खुद मौजूद रहकर व्यवस्था करते। मजदूरों के लिए एंबुलेंस या वाहन की व्यवस्था मालिक खुद कर सकते थे। लेकिन उनका इस तरह घटनास्थल से निकल जाना, कई सवालों को खड़ा करता है। यह भी जांच का विषय बनता है कि जब मैगजीन हाउस नहीं है तो विस्फोटक पदार्थ कहां से लाया गया और अवैध तरीके से विस्फोट क्यों किया गया। यह सारी बातें कहीं ना कहीं अवैध विस्फोटक का इस्तेमाल और चोरी-छिपे सुबह-सुबह विस्फोट का संदेह को उत्पन्न करता है। विस्फोटक के अवैध होने को इसलिए भी बल मिलता है, कि ये विष्फोट सुबह सुबह 6 बजे हुआ।
अब सवाल उठता है कि अगर मोबाइल विस्फोट करनेवाले का तर्क दिया जाता है, तो ये गले नहीं उतरता है। कोई भी मोबाइल विस्फोट वाली कम्पनी पाकुड़ में नहीं है, सभी यहाँ से करीब दो-ढाई सौ किलोमीटर से आते हैं। विस्फोटक मैगजीन रूम से सुबह छः बजे के बाद निकाले जाने तथा छः बजे से पहले फिर मैगजीन में वापस स्टोर कर देने का नियम जानकार बताते हैं। ऐसे में बिना मैगजीन वाले खदान में अगर सुबह छः बजे विष्फोट होता है तो सवाल ही सवाल उठते हैं।अब देखना यह है कि अगर पुलिस तक ख़बर पहुँच चुकी है तो इस घटना का अनुसंधान कैसे होता है?