अबुल काशिम की रिपोर्ट
पाकुड़। आमतौर पर रविवार को सरकारी संस्थानें बंद रहती है। अधिकारी और कर्मचारियों पर सेवा देने की बाध्यता भी नहीं रहती है। यह स्वास्थ्य विभाग पर भी लागू होता है। लेकिन सदर अस्पताल की रविवार की कुछ तस्वीरें अपने आप में एक मिसाल है।
यह तस्वीरें उन लोगों के लिए आईना है, जिनके लिए मानवता और इंसानियत की जगह छुट्टी ही ज्यादा मायने रखता है। सदर अस्पताल में रविवार को भी मरीजों की वही भीड़ देखी गई, जो सामान्य दिनों में दिखती है। अस्पताल परिसर में मरीजों की लाइनें लगी थी। इनमें ज्यादातर महिलाएं थी, जो अल्ट्रा सोनोग्राफी के लिए आई हुई थी। अस्पताल परिसर स्थित अल्ट्रा सोनोग्राफी क्लिनिक के बाहर गर्भवती माताएं अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। क्लिनिक के अंदर एक-एक कर जाती और अपना अल्ट्रा सोनोग्राफी कराकर बाहर निकलती।
इसमें महत्वपूर्ण बात यह थी कि ये महिलाएं सिर्फ पाकुड़ जिले से ही नहीं, बल्कि पड़ोसी जिले से भी अल्ट्रा सोनोग्राफी कराने पहुंची थी। यहां दिलचस्प बात तो यह थी कि क्लिनिक में महिलाओं का अल्ट्रा सोनोग्राफी कोई और नहीं, बल्कि खुद सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल कर रहे थे। दोपहर करीब 12:00 बजे का समय था, जब 30 से भी ज्यादा महिलाओं की अल्ट्रा सोनोग्राफी हो चुकी थी।
सिविल सर्जन डॉ मंटू टेकरीवाल अल्ट्रा सोनोग्राफी का रिपोर्ट भी उसी दौरान महिलाओं को हाथों-हाथ दे रहे थे। अक्सर रविवार को छुट्टी का दिन मानकर सरकारी सेवा बंद रहने की बातें लोगों के दिलों दिमाग में बैठे होते हैं। लेकिन सदर अस्पताल में रविवार के दिन भी सेवा चालू रहना, विशेष कर गरीबों के लिए वरदान ही है। अन्यथा अस्पताल बंद रहने की स्थिति में जरूरतमंदों को बाहर निजी संस्थानों में रिपोर्ट करवाना पड़ता और उन्हें निजी खर्च भी उठाना पड़ता। लेकिन सदर अस्पताल में ही निःशुल्क अल्ट्रा सोनोग्राफी सेवा का लाभ मिला। यह गरीब परिवार के मरीजों को आर्थिक रूप से बचत भी हुई और बाहर जाने की विवशता भी नहीं रहा।
सदर अस्पताल की बदलती तस्वीर गरीब मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है। सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल की ऐसी पहल से मरीजों में खुशी भी है। इस दौरान मरीजों ने खुशी जाहिर करते हुए सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल का आभार भी व्यक्त किया।
मरीजों ने कहा
अल्ट्रा सोनोग्राफी कराने पहुंचे सदर प्रखंड के झिकरहटी के रेकाबुल शेख ने बताया कि पत्नी रेहेना बीवी का रिपोर्ट कराने आए थे। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि रविवार को भी अस्पताल में सेवाएं चालू रहेगी और अल्ट्रा सोनोग्राफी करा पाएंगे। लेकिन जब अस्पताल पहुंचे तो देखा कि सिविल सर्जन खुद अल्ट्रा सोनोग्राफी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां बिना किसी खर्च के ही अल्ट्रा सोनोग्राफी किया गया और रिपोर्ट भी दी गई।
लिट्टीपाड़ा प्रखंड के झेनागढ़िया की मसूदा खातून ने कहा कि मैं खुद के लिए अल्ट्रा सोनोग्राफी करने पहुंची थी। यहां सेवाएं बेहतर हैं और निःशुल्क भी है। साहिबगंज जिले के बरहरवा के लखीपुर से पहुंची संजीदा खातून ने कहा कि मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था कि रविवार को भी अल्ट्रा सोनोग्राफी हो पाएगा। मैं जब अस्पताल पहुंची तो क्लीनिक में सिविल सर्जन खुद अल्ट्रा सोनोग्राफी कर रहे थे। मैंने अपना नाम लिखवाया और निःशुल्क सेवा भी लिया।
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल ने कहा कि ड्यूटी से ज्यादा मानवता और इंसानियत जरुरी है। मुझे जब कभी भी वक्त मिलता है, खुद क्लिनिक आकर गर्भवती माताओं का अल्ट्रा सोनोग्राफी करता हूं। सदर अस्पताल की सेवाओं को बेहतर से बेहतर बनाना ही मेरा असली मकसद है। ताकि गरीब मरीजों को सरकारी सेवा का लाभ मिले और सरकार का उद्देश्य भी सफल हो।