समाचार चक्र संवाददाता
हिरणपुर-पूरे देश में 159 वां हूल दिवस बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया। पाकुड़ जिला में भी विभिन्न सामाजिक संगठन एवं राजनीतिक दलों ने हूल दिवस मनाया। इस अवसर पर आदिवासी समाजिक संगठन एसीजे के द्वारा मोटरसाइकिल रैली निकालकर जिले के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इसके पश्चात हिरणपुर प्रखंड के डांगापाड़ा मोड़ में अमर शहीद सिदो कान्हू मुर्मू के छोटे भाई वीर शहीद चांद मुर्मू एवं भैरव मुर्मू के आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया गया। प्रतिमा का अनावरण समाजिक कार्यकर्ता प्रो निर्मल मुर्मू एवं पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष बाबुधन मुर्मू ने संयुक्त रूप से फीता काट कर किया। मौके पर जीप सदस्य प्रियंका देवी पंचायत मुखिया बाले हेम्ब्रम,बाबुपूर पंचायत के मुखिया जॉन जन्तू सोरेन,एसीजेएम अध्यक्ष मानवेल सोरेन सामाजिक कार्यकर्ता इकरामुल अंसारी आदि हजारों की संख्या में उपस्थित थे। इसके बाद फुटबॉल मैदान में लांगड़ें एनेच्,डोम नाच एवं विभिन्न प्रकार के संस्कृतिक कार्यक्रम एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता एवं एसपी कॉलेज दुमका के प्रो निर्मल मुर्मू ने कहा कि संताल हूल देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था,लेकिन इसको इतिहास में उचित जगह नहीं दिया गया। इसलिए फिर से इतिहास लिखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सिदो मुर्मू और कान्हू मुर्मू ने अपनी जान की कुर्बानी देकर के अंग्रेजी शासन को ललकारा था। उनका एक ही मकसद था अन्याय, शोषण और भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंक कर जल, जंगल, जमीन तथा आत्मसम्मान की रक्षा करते हुए आबोवाक् दिसोम आबोवाक् राज की स्थापना करना, लेकिन उनकी यह परिकल्पना साकार नहीं हुई है। सरकार आदिवासियों को अधिकार देने में विफल हुई है। उन्होंने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप हमारी जल, जंगल, जमीन और स्वाभिमान की रक्षा करो वरना हमें अलग राज्य संताल परगाना दे दो। हम अपने से अपने जल,जंगल, जमीन और आत्मसम्मान के रक्षा करना जानते हैं।पुर्व जीप अध्यक्ष बाबुधन मुर्मू ने कहा कि सिदो कान्हु मुर्मू की लड़ाई जल, जंगल और जमीन की लड़ाई थी लेकिन आज सरकार जल, जंगल और जमीन बचाने में विफल साबित हुई है। लगातार यहां आदिवासी और मूल वासियों के अधिकार का हनन हो रहा है। जल, जंगल और जमीन को लूटने का भर्षक प्रयास किया जा रहा है। आदिवासी अधिकार के नाम पर केवल प्रचार मात्र है। दिनों दिन यहां पर बहन बेटियों का आबरू लूटा जा रहा है।मानवेल सोरेन ने 1855-56 के हूल का प्रासंगिकता विस्तार से बताया। एवं उपस्थित सभी वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया।मौके पर सत्येन्द्र किस्कू, सुनीराम मुर्मू, बाबुधन टुडू,इग्नासियस मराण्डी, बैजल मराण्डी,महातन टुडू, संदीप मुर्मू,पास्टर मुर्मू, हीरालाल हेम्ब्रम, अजय हांसदा,पार्वती मुर्मू,पौलिना हेम्ब्रम एवं सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
और समाचार लिखे जाने तक कार्यक्रम जारी था।