समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। अवैध खनन मामले में साहिबगंज जिला सुर्खियों में है। इस मामले में नेताओं से लेकर अधिकारियों तक की किरकिरी हो चुकी है। ईडी की लगातार कार्रवाई से साहिबगंज की पूरे झारखंड में बदनामी हो रही है।इधर बिना माइनिंग चालान के चेकपोस्ट से रात के अंधेरे में गाड़ी पास कराने वाले गिरोह साहिबगंज की तरह पाकुड़ को भी बदनाम करने में जुटी है। एक तरह से कह सकते है कि पाकुड़ में ईडी को बुलावा दिया जा रहा है। पासिंग गिरोह की करतूतें क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि पाकुड़ पुलिस अवैध कार्यों पर रोक लगाने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही है। पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार का प्रयास और उनके निर्देश पर अमल करने वाले थाना प्रभारी पैनी नजर बनाए हुए हैं। फिर भी पासिंग गिरोह बिना माइनिंग चालान के गाड़ियों को पास कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इन बातों को लेकर सूत्रों का कहना है कि पुलिस प्रशासन, परिवहन विभाग या खनन विभाग को और भी ज्यादा आक्रामक होना पड़ेगा। अन्यथा अवैध परिवहन को रोकना संभव नहीं होगा। सूत्रों का दावा है कि पुलिस अधिकारी या किसी भी विभाग के अधिकारी जब भी चेक पोस्ट या सड़क पर चेकिंग के लिए उतरते हैं, इससे पहले ही गाड़ी पास कराने वाले गिरोह को भनक लग जाती है। अधिकारियों के निकलने की खबर मिलते ही पासिंग गिरोह के सदस्य अलर्ट हो जाते हैं। पियादापुर चेक पोस्ट से लेकर चांदपुर चेकपोस्ट तक गिरोह के सदस्य स्कॉर्पियो से रात भर घूमते रहता है। जिसकी नजर अधिकारियों पर होती है। पुलिस प्रशासन, परिवहन या खनिज विभाग के अधिकारियों को देखते ही गाड़ी के चालकों को अलर्ट कर दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि पासिंग गिरोह के सदस्य को रात 10:00 बजे के बाद अहले सुबह तक पियादापुर से चांदपुर तक सड़क पर रेकी करते देखे जा सकते हैं। प्रशासन को स्कॉर्पियो से घूमने वाले गिरोह के इन्हीं सदस्यों को पकड़ने की जरूरत है। सूत्रों का दावा है कि अगर प्रशासन के पकड़ में आती है और कड़ाई से पूछताछ होती है तो सारे भेद खुल सकते हैं। इसमें कौन लोग जुड़े हुए हैं और किन-किन लोगों की गाड़ी बिना माइनिंग चालान के पास होती है, यह सारी जानकारी स्कॉर्पियो में घूमने वाले पासिंग गिरोह के सदस्यों के पास मौजूद होता है। अगर उनके मोबाइल पर कॉल डिटेल्स या व्हाट्सएप चैटिंग की जांच किया जाए, तो गाड़ी मालिक से लेकर चालक और चेक पोस्ट के कर्मियों के नंबर और नाम का खुलासा हो सकता है। अगर ऐसे लोगों पर लगाम नहीं लगाया गया तो पाकुड़ को साहिबगंज की तरह ही बदनामी झेलना पड़ेगा।