Homeपाकुड़इंसानों की बस्ती कब खूंखार जानवरों का जंगल बन गया?

इंसानों की बस्ती कब खूंखार जानवरों का जंगल बन गया?

जो मां अपने कोख में नौ माह तक रखा,वहीं बेटे ने मां की निर्मम हत्त्या कर दी.

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समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़-कोई अपराधी क्यों बनता है? इस सवाल के कई जवाब हैं।लेकिन एक जवाब यह भी है कि हालात जो ना कराए।परिस्थितियों का मारा इंसान भी अपराध करता है। तब हम पछताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ? नहीं होना चाहिए था। फिर हमें अपने इर्द-गिर्द के समाज पर गुस्सा आता है। कैसा समाज बनाया है हमने जो अपराधी पैदा कर रहा है! किस तरह की व्यवस्था है जो किसी को अपराध के रास्ते पर धकेल रहा है!सोचिए, जरा गौर से सोचिये…यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है.पाकुड़ जिले के हिरणपुर थाना क्षेत्र के मुर्गाडांगा में एक ऐसा वाक्या हो गया की पुत्र और पुत्रवधु ने सिर्फ मामूली विवाद में अपनी मां का गला रेतकर हत्त्या कर दिया. मां अपनी जान की भीख मांगती रही लेकिन पुत्र और बहु ने एक न सुनी.जिस मां ने अपने कोख में दर्द को सहकर बेटे को जन्म दिया,अपने सारे दर्द को सहकर भी बेटे की दुख को अपना दुख समझकर सहती रही लेकिन वहीं पुत्र बड़े होकर अपनी मां को गले रेतकर हत्त्या कर दिया.वर्तमान में इसकी खामियाजा चार मासूम उठा रहे है.पुलिस ने हत्त्यारे माता-पिता को तो जेल भेज दिया है लेकिन दोनों से चार मासूम बच्चे भी है.बच्चे अपने पिता को लौटने का इंतजार कर रही है.बच्चे पूछ रहे है माता-पिता कब आएंगे.हमलोगों को खाना कौन देगा.जरा सोचने वाली बात है हमें क्या हो गया हैं। इंसानों की बस्ती कब खूंखार जानवरों का जंगल बन गया,पता भी नहीं चला! हर कोई अपना मतलब साधने में लगा है, अपने छोटे से फायदे के लिए मां को कत्ल करने में कोई गुरेज नहीं… लेस मात्र मानवता नहीं,इंसानियत का नामोनिशान खत्म!आखिर मानवता होती तो कोई पुत्र अपनी मां को कत्ल कैसे करते…!

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मकसूद आलम

एडिटर इन चीफ

गुंजन साहा

डेस्क हेड & एडमिन

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