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Maqsood Alam
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सिविल सर्जन को क्यों पसंद नहीं है सरकारी आवास, सीएम और स्वास्थ्य मंत्री से ट्वीट कर जांच की मांग

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Gunjan Saha
(Desk Head)

पाकुड़। पूर्व झामुमो जिला प्रवक्ता एवं केंद्रीय सदस्य रहे शाहिद इकबाल ने वीरान पड़े सिविल सर्जन के सरकारी आवास से संबंधित प्रभात मंत्र में प्रकाशित खबर को ट्वीट कर जांच करने की मांग की है। अखबार के कतरन को ट्विटर पर पोस्ट करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एवं पाकुड़ डीसी को टैग किया है।

पूर्व जिला प्रवक्ता ने कहा है कि आखिरकार पाकुड़ सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल को सरकारी आवास पसंद क्यों नहीं है ? जबकि पूर्व के कई सिविल सर्जन इस आवास में रहे हैं। सिविल सर्जन आवास वीरान है। इसकी जांच करने का कष्ट करें। 

यहां बता दें कि 7 सितंबर के अंक में ‘असामाजिक तत्वों का निशान बन सकता है सिविल सर्जन का बंद पड़ा सरकारी आवास’ शीर्षक के साथ प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया गया था। जिसकी चौक चौराहों पर चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। पूर्व जिला प्रवक्ता ने इस मामले को ट्विटर के जरिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को संज्ञान में दिया है। वहीं पाकुड़ डीसी को भी टैग किया है।

यह बताना भी जरूरी होगा कि पुराना सदर अस्पताल के ठीक सामने शहर के बीच स्थित सिविल सर्जन का सरकारी आवास इन दिनों खाली पड़ा है। पिछले कई महीनों से आवास के गेट का ताला नहीं खुला है। आवास में झाड़ियां उग आई है और खंडहर में तब्दील हो रहा है। आवास की खिड़कियां और दरवाजे जंग खा रहा हैं। पूर्व में आवास का इस्तेमाल सिविल सर्जन के आवास के रूप में ही हुआ है। यहां पूर्व में कई सिविल सर्जन रात गुजारे हैं। शहर के बीच स्थित सरकारी आवास में सुविधा भी पर्याप्त थी। वहीं वर्तमान में यह आवास बंद पड़ा है।

हालांकि इस मामले में वर्तमान सिविल सर्जन डॉ. मंटू टेकरीवाल ने सोशल मीडिया के जरिए यह आवास अधीक्षक के नाम आवंटित होने की जानकारी दी है। हालांकि आवास के सामने साफ शब्दों में सिविल सर्जन के आवास का बोर्ड लगा हुआ है। सिविल सर्जन के द्वारा सोशल मीडिया के जरिए दी गई जानकारी को लेकर भी चर्चा है कि अगर किसी अन्य पदाधिकारी को आवास आवंटित है तो वह पदाधिकारी भी आवास का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं ? इसलिए यह पूरा मामला जांच का भी विषय है। आवास के बंद पड़े रहने से अप्रिय घटना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। असामाजिक तत्वों की नजर इस पर पड़ सकती है। आवास की निगरानी के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। अगर कोई घटना घटती है तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा!

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