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Maqsood Alam
(News Head)

सट्टेबाजों के चंगुल में फंसकर कर्ज में डूब रहे युवा, नर्क बन रही जिंदगियां

ग्रामीण इलाकों में बेधड़क चल रहा सट्टेबाजी का खेल, पुलिस बेखबर

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Gunjan Saha
(Desk Head)

समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का सीजन शुरू हो गया है। आज यानी शुक्रवार से शुरू हो रहा आईपीएल को एक तरफ क्रिकेट प्रेमियों में उत्साह का माहौल है। वहीं दूसरी ओर सट्टेबाजों के लिए युवाओं को लूटने का एक बड़ा अवसर है। युवाओं को कर्ज में डुबाकर जिंदगी तबाह करने वाले सट्टेबाजों को ना कानून का डर है और ना ही समाज का डर है। ये वही क्रिकेट के सट्टेबाज हैं, जिसके चंगुल में फंसकर युवा पीढ़ी कर्ज में डूब रहे हैं और उनकी जिंदगियां नर्क बन जाती है। ग्रामीण इलाकों में सट्टेबाजी का यह खेल बेधड़क चल रहा है। हालांकि पुलिस सट्टेबाजों की करतूतों से बेखबर है। यूं तो आईपीएल का हर सीजन सट्टेबाजों के लिए लोगों को लूटने का बड़ा अवसर होता है। लेकिन आईपीएल ही नहीं, बल्कि सालों भर क्रिकेट में बड़े पैमाने पर जुआ का खेल चलते रहता हैं। आईपीएल का अवसर हालांकि दूसरे अवसर से थोड़ा अधिक मजेदार होता है। इसलिए कि आईपीएल का जोश क्रिकेट प्रेमियों में थोड़ा ज्यादा ही रहता है। क्रिकेट प्रेमी जहां मैच देखने के लिए उत्साहित रहते हैं। वहीं सट्टेबाजों के लालच में आकर सट्टा लगाने वाले युवा पीढ़ी आईपीएल में ज्यादा बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यही वजह है कि युवाओं को लूटने वाले और समाज को बदनाम करने वाले सट्टेबाजों के लिए आईपीएल का सीजन खास बन जाता है। अगर ग्रामीण इलाकों की बात करें, तो शहर से ज्यादा गांव में सट्टेबाजी का खेल अधिक चलता है और यह बेधड़क चलते रहता है। ईलामी, रहसपुर, चांचकी, संग्रामपुर, रहसपुर गांव सट्टेबाजी के लिए आज के समय में ज्यादा बदनाम है। इन गांवों के सट्टेबाज युवा पीढ़ी को लालच देकर फंसाने का काम करते हैं।‌ ईलामी के रहने वाले एक युवक सट्टेबाजों की सूची में नंबर वन बताया जा रहा है। इस सट्टेबाज के चंगुल में आकर कई युवा बर्बाद हो चुके हैं। सूत्रों का दावा है कि कई युवा ईलामी के इस सट्टेबाज के कर्ज में डूबकर घर छोड़ने के लिए भी मजबूर हो गए हैं। इधर सट्टेबाजों की सूची में रहसपुर, चांचकी और संग्रामपुर गांव के कई नाम की चर्चा तेज है। इन सट्टेबाजों ने बेरोजगार होते हुए भी अकूत संपत्ति अर्जित कर लिया है। इन सट्टेबाजों के चंगुल में फंसकर लाखों की कर्ज में डूबे युवाओं की नींद हराम है। कई बार सट्टेबाजी में हारे रुपए नहीं चुकाने पर कहा-सुनी ही नहीं, बल्कि हाथापाई तक हो चुकी है। मुफस्सिल पुलिस ने पिछले साल ही सट्टेबाजों पर दबिश देने की कोशिश की थी। फिर भी सट्टेबाजों के द्वारा पुलिस को चुनौती देने का काम आज भी जारी है। सूत्र यह भी बताते हैं कि इन गांवों के रहने वाले सट्टेबाजों को चिन्हित कर अगर पुलिस कार्रवाई करें, तो बड़े पैमाने पर सट्टेबाजी का खेल उजागर हो सकता है। पुलिस के प्रयास से ही युवाओं को बर्बाद होने और समाज को बदनाम होने से बचाया जा सकता है।

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