ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। विधायक व प्रशासन के सामुहिक प्रयास से उदलबनी ताला-टोला में डीप वेल बोरिंग का काम हो गया है। जानकारी मिली कि 740 फ़ीट बोरिंग हुई जिसमें पर्याप्त पानी मिला। अब इस बोरिंग से टोले के सभी चालीस परिवारों को स्थायी तौर पर सहजता से पेयजल कैसे मिले, प्रशासन इस ओर पहल कर रहा है। उल्लेखनीय है कि पानी, सड़क, आवास इत्यादि ऐसी बुनियादी जरूरतें हैं। जिनसे नागरिकों को वंचित रखना शासन-सत्ता की विफलता है। ऐसे में इस टोले की पढ़ी-लिखी बच्चियों,बुजुर्ग महिलाओं और युवकों से इस संवाददाता ने बात-चीत कीं और प्रतिक्रियाएं जानीं। पीजी में अध्ययनरत बेरोनिका मूर्मू और मरियम किस्कू ने बताया कि गांव में डीप वेल बोर होने से ग्रामीणों को पेयजल से राहत मिलेगा। इस पहल से हमलोग खुश हैं। एक बोरिंग की जरूरत और है।

वहीं गांव में बीचोबीच सड़क पर जल जमाव हो रहा है। पानी निकासी के लिए नाली नहीं है। जमा हुआ पानी महकता है। लोग इस ओर से उस ओर नहीं आ-जा पाते हैं। कभी भी मच्छड़ जनित बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले सकते हैं। इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं है। जबकि इंटर पास जुली मूर्मू ने बताया कि गांव में योग्य परिवार अबतक आवास लाभ से भी वंचित हैं। कुछ दलाल किश्म के व्यक्ति सही व्यक्ति को सही लाभ नहीं लेने देते। गांव के ही सुनील मूर्मू, जुनास किस्कू और मारकुस किस्कू ने भी गांव की आधारभूत समस्याओं को फोकस किया और जरूरी नागरिक सुविधाएं बहाल करने की मांग किया। बुजुर्ग महिला मैकू बेसरा, सुनीता बेसरा ने भी कुछ ऐसी ही बात बताया और कहा कि प्रशासन व मुखिया को हमारी तकलीफों से रूबरू होना चाहिए और ढांचागत बुनियादी विकास पर काम करना चाहिए।

मुखिया हमारी समस्याओं से हैं अंजान
उच्च योग्यताधारी व शिक्षित ग्रामीण महिला-पुरुषों ने अपने पंचायत के मुखिया साहेबजन टुडू के संदर्भ में निगेटिव फीडबैक दिया। कहा : वो सिर्फ यहां चुनाव में ही वोट मांगने आते हैं। ऐसे , कभी मुहल्लेवासियों के दुःख-सुख से वाकिफ नहीं होते। आज अगर हमारे गांव का एक शख्स कूआं में फंसकर आठ घंटा जिंदगी और मौत से नहीं लड़ता तो संभवतः पेयजल के स्थायी निदान की दिशा में ठोस पहल नहीं होता।
