समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। झारखंड राज के संताल परगना के इस राजमहल लोकसभा क्षेत्र में राजनीति के धरातल पर लोबिन हेंब्रम एक ऐसा व्यक्ति उभर कर आए, जिन्होंने अत्यंत मृदु भाषी, व्यवहार कुशल और बिना किसी तामझाम के एक सादगी भरा जीवन जिया। लोबिन हेंब्रम कमजोर तबके के लोगों के बीच रहे और सेवा की, चाहे वह किसी भी जाति समुदाय के हो। दिसोम गुरुजी के आह्वान पर अलग झारखंड राज्य के लिए संघर्ष किया। उनकी लोकप्रियता के यही सब कारण है जनता उनकी समस्याओं से सीधे रूबरू होकर समाधान की दिशा में प्रयास करना उनकी सोच है। यह बातें सहायक प्राध्यापक प्रो. निर्मल मुर्मू ने कही है। उन्होंने कहा है कि पिछले दिनों साहिबगंज जिला और उसके आसपास के क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं पर अपना आलाकमान का ध्यान आकृष्ट निरंतर कराते रहे, ताकि पार्टी की छवि धूमिल ना हों। परंतु आलाकमान ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। आज परिणाम आपके सामने है, जनता के सामने है। इस बार पुनः पार्टी ने उसी व्यक्ति को पार्टी टिकट देकर राजमहल लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया जो दो बार सांसद के रूप में अपने मतदाताओं से काफी दूर रहा। जनता के दुःख दर्द से लापरवाह रहा। उन्होंने कहा है कि सांसद विजय हांसदा का झारखंड अलग राज्य के संघर्ष से उसका और उसके परिवार का कोई नाता रिश्ता नहीं रहा। बाध्य होकर राजमहल लोकसभा क्षेत्र के इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोबिन हेंब्रम को खड़ा होना पड़ा। उन्होंने अपील किया कि लोबिन हेंब्रम को राजमहल लोकसभा से अवश्य विजयी बनाएं।