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Maqsood Alam
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हारुन व सलीम ने खुब निभाई जिम्मेदारी, हर पल प्रशासन का दिया साथ, सौहार्द बनाए रखने में रही बड़ी भूमिका

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Gunjan Saha
(Desk Head)

अबुल क़ासिम@समाचार चक्र

पाकुड़। मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत गोपीनाथपुर गांव में दो समुदाय के बीच हिंसक झड़प की आग आस-पास के गांवों में भी फैल सकती थी। प्रशासन की तत्परता से उसे रोक लिया गया। प्रशासन का प्रयास काबिले तारीफ रहा। इसमें दो ऐसे व्यक्ति की भूमिका को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता, जिन्होंने प्रशासन का हर पल साथ दिया। आस-पास के गांवों से पहुंच रही भीड़ को समझाने में कामयाब रहे। लोगों का ध्यान अफवाहों पर जाने से भी रोकने में कामयाब रहे।

यह अलग बात है कि स्थानीय लोगों की मंशा गलत नहीं रहा होगा। लेकिन जिस तरह माहौल बन रहा था, वह स्थानीय लोगों को भी प्रभावित कर रहा था। ईद के दिन से शुरू हुई घटना के दूसरे दिन हरिगंज के 15 साल के बच्चे को गोली लगने के बाद स्थानीय तौर पर भी माहौल बिगड़ सकता था। लेकिन गंधाईपुर पंचायत के मुखिया हारुन शेख और पृथ्वीनगर के मुखिया प्रतिनिधि सलीम शेख ने माहौल को खराब होने से बचा लिया। अफवाहों का दौर भी एक समय देखने को मिला, जब गोली हरिगंज के अरसलाम शेख के पैर में आकर लगी। गोली किस तरफ से चलाई गई, इसको लेकर अंदरखाने चर्चा छिड़ी हुई थी। इससे माहौल बिगड़ने की संभावना बन सकती थी। लेकिन मुखिया हारुन शेख के प्रयास से टाल दिया गया। मुखिया हारुन शेख और प्रतिनिधि सलीम शेख घटनास्थल पर प्रशासन के साथ कंधा से कंधा मिलाकर डटे रहे। इसके लिए दोनों उपद्रवियों के निशाने पर भी आ गए। मुखिया हारुन शेख और प्रतिनिधि सलीम शेख ने सौहार्द को बनाए रखने में भी जी जान से प्रयास किया। दोनों ने स्थानीय तौर पर माहौल पर नजर बनाए रखा। लगातार प्रशासन के संपर्क में रहे। प्रशासन ने भी हारुन और सलीम पर भरोसा बनाए रखा। यहीं वजह है कि प्रशासन को जब जब जरुरत महसूस हुई, दोनों से रायसुमारी भी की। दोनों ने प्रशासन का उस वक्त भी साथ निभाया, जब उपद्रवियों की ओर से पुलिस को भी निशाना बनाया जा रहा था। इतना ही नहीं, तनावपूर्ण स्थिति में भी भाईचारा और सौहार्द को बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसी तस्वीरें भी सामने आई, जब गोपीनाथपुर गांव के कई लोगों ने मुखिया हारुन शेख से संपर्क कर गांव आने-जाने के लिए मदद मांगी। तब हारुन ने अपनी बाइक से कई लोगों को गांव पहुंचाने और गांव से बाहर जाने में भी मदद किया। उपद्रवियों के उत्पात के बीच हारुन शेख और सलीम शेख ने सौहार्द बनाए रखने और माहौल को शांत कराने में जो भूमिका निभाई, वह वैसे जनप्रतिनिधियों के लिए सबक है, जिन्होंने इस मामले में अभी तक अपना चेहरा भी नहीं दिखाया। प्रशासन या आम लोगों की मदद तो दूर, कोई भी नजरिए से माहौल को शांत कराने में किसी तरह का कोई सहयोग नहीं किया। ऐसे जनप्रतिनिधियों को मुखिया हारुन शेख और प्रतिनिधि सलीम शेख से सीख लेना चाहिए।

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