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Maqsood Alam
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नेताओं के इंतजार में इलामी तारानगर के ग्रामीण, वोट के बाद कहां चली जाती है हमदर्दी!

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Gunjan Saha
(Desk Head)

समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़।मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत इलामी,नवादा और तारानगर गांव में सांप्रदायिक हिंसा के बाद माहौल पुरी तरह से शांत हो गया है।पुलिस की तत्परता और बुद्धिजीवी ग्रामीणों की सुझबुझ शांति बहाली में कारगर साबित हुआ है। पुलिस ने मामले में 11 लोगों को जेल भेजा है। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर लगातार छापेमारी कर रही है। इधर सूत्रों के मुताबिक गांवों में अभी भी डर का माहौल बना हुआ है। इसमें एक तरह के वैसे लोग हैं, जिन्हें लगता है कि वे हिंसा में किसी भी तरीके से जुड़े नहीं थे। ऐसे लोगों को पुलिस की कार्रवाई का डर है। लेकिन पुलिस का साफ संदेश है कि निर्दोषों को डरने की कोई जरूरत ही नहीं है। पुलिस का कहना है कि इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है कि कोई भी निर्दोष व्यक्ति नहीं फंसे। पुलिस ने हिरासत में लिए गए ऐसे आधे दर्जन लोगों को वेरिफाई के बाद छोड़कर अपने संदेश को सही साबित भी किया है। दूसरी तरफ जिन लोगों के घर या दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया है, उन्हें भी डर सता रहा है। हालांकि घटना के दिन के बाद से ऐसी कोई भी संभावनाएं नहीं दिख रहा है। इन सबके बीच ग्रामीणों में दहशत को दूर कर भाईचारा और आपसी सौहार्द को स्थापित करने में नेताओं की बड़ी भूमिका हो सकती है। लेकिन अफसोस अभी तक किसी भी नेता को इसके लिए पहल करते देखा नहीं जा रहा है। यही बात ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि कोई भी नेता अब तक गांव नहीं पहुंचे। यह बहुत ही तकलीफ देने वाली बात है। जब चुनाव आती है तो सारे राजनीतिक दलों के नेताओं का पहुंचना शुरू हो जाता है। एक गांव से गए नहीं कि दूसरा हाजिर है। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, हर राजनीतिक दल के नेता ग्रामीणों के सुख-दुख के साथी बन जाते हैं और चुनाव खत्म होते ही नजर नहीं आते। आखिर वोट के बाद नेताओं की हमदर्दी कहां चली जाती है। वहीं बुद्धिजीवियों का कहना है कि नेताओं को भी एकबार गांव जरुर आना चाहिए। ताकि दोनों समुदायों में आपसी भाईचारा और सौहार्द को बनाया जा सके और गांव में फिर से पहले की तरह माहौल बने। यहां के सांसद या विधायक के अलावा सभी पार्टी के नेताओं को आकर दोनों समुदायों के लोगों को आपस में मिलाने का काम करना चाहिए। यहां बताना जरूरी होगा कि प्रशासन की ओर से इलामी और तारानगर के साथ-साथ नवादा गांव में भी निषेधाज्ञा लागू कर रखा है।

उग्र हो रही भीड़,आमजनता की हिफाजत करने वाले पुलिस को बनाया जा रहा निशाना…

पाकुड़ जिले के सदर प्रखंड अबतक सांप्रदायिक सौहार्द का मिशाल पेश किया है. सदर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों और गांव में दोनों समुदाय के लोग काफ़ी प्रेम और भाईचारा बनाकर रहते है. हाल के दिनों में गोपीनाथ पुर और तारानगर गांव में जिस तरह की छोटी सी घटना बड़ा रूप धारण किया और बाहरी नेताओं ने रोटी सेंकने का काम किया है इससे स्पष्ट हो गया है आग में घी डालने का काम किया है.वही जिस तरह भीड़ उग्र हो रही है और आमजनों की हिफाजत करने वाले पुलिस के जवान और पुलिस गाड़ियों का निशाना बनाया जा रहा यह स्वस्थ्य समाज का काम नहीं हो सकता.अगर समय रहते नहीं चेते गए तो आने वाले दिनों में दुष्परिणाम साबित हो सकते है. बहरहाल समाज के बुद्धिजीवीयो को आगे आना होगा और अपनी अपनी जिम्मेदारी भी तय करनी होंगी.

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