Homeपाकुड़निसात आलम ने निभाया पत्नी का धर्म, तो मां का साया बनकर...
Maqsood Alam
(News Head)

निसात आलम ने निभाया पत्नी का धर्म, तो मां का साया बनकर तनवीर ने निभाया बेटे का फर्ज

समाचार चक्र की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें
Gunjan Saha
(Desk Head)

अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की धर्मपत्नी निसात आलम के लिए 2024 का विधानसभा चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था। पाकुड़ विधानसभा की सीट जीतना कांग्रेस के लिए आसान भी नहीं थी। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी निसात आलम और खासकर तनवीर आलम की मेहनत ने दोनों ही परिस्थितियों में पास करा दिया। पाकुड़ विधानसभा सीट से लंबे अरसे बाद कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा। पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की धर्मपत्नी निसात आलम प्रत्याशी बनाई गई। पहली बार घर की दहलीज से बाहर निकल राजनीति और चुनाव मैदान में उतरी निसात आलम ने कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलाकर पार्टी के भरोसे को सही साबित कर दिखाया। पूरे झारखंड में सबसे अधिक वोटों से जीत हासिल करने का इतिहास ही रच दिया। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में निसात आलम की जीत को पू्र्व मंत्री आलमगीर आलम की जबरदस्त लोकप्रियता को एक बार फिर से पार्टी के साथ-साथ विरोधियों को भी एहसास करा गया। यह चुनाव पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के मान-सम्मान और उनके राजनीतिक विरासत को बचाएं रखने की भी बड़ी चुनौती थी। लेकिन निसात आलम ने इस चुनौती को स्वीकारा और सामना भी किया। कल तक घर की दहलीज में सिमट कर रहने वाली मातृशक्ति ने हिम्मत दिखाई और पत्नी का धर्म निभाते हुए जनता का भरोसा जीतकर दिखाया। यह अलग बात है कि आलमगीर आलम लंबे समय से राजनीति में हैं और लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ कर कई अहम जिम्मेदारियां भी संभाली। लेकिन पत्नी निसात आलम को हमेशा से राजनीति से दूर ही रखा। एक सीधी-सादी गृहिणी के रूप में परिवार को संभालती रही। लेकिन पति जब मुसीबत में आए, तो उन्होंने घर की दहलीज लांघ कर राजनीति में आने का फैसला किया। पति के मान-सम्मान और लोकप्रियता को साबित करने चुनाव मैदान में उतर गई। पार्टी को आलमगीर आलम की लोकप्रियता का अंदाजा तो था ही, पत्नी निसात आलम पर भी भरोसा था। जिस पर निसात आलम खरी उतरी और जबरदस्त जीत दिलाई।

पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को भी खुद अंदाजा नहीं रहा होगा कि उनके मुसीबत के बीच पत्नी को राजनीति के मैदान में उतरना पड़ेगा और जीत के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे। लेकिन निसात आलम ने बुरे वक्त में पत्नी धर्म को निभाया और पति आलमगीर आलम की राजनीतिक विरासत को भी बचाया। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान जनता का प्यार और सम्मान निसात आलम की जीत पर मुहर लगा चुकी थी। वो जहां भी जाती फूलों की बारिश से भींगो दिया जाता। महिलाओं में तो जबरदस्त उत्साह था। निसात आलम के पहुंचते ही उत्सव का माहौल बन जाता था। जिसका परिणाम भी सामने आया। निसात आलम ने 86 हजार से भी ज्यादा वोटों से एतिहासिक जीत हासिल की। इन सबके बीच निसात आलम ने अगर पत्नी धर्म निभाया, तो तनवीर आलम ने भी बेटे का फर्ज निभाया। कांग्रेस प्रदेश महासचिव के पद पर काबिज तनवीर आलम पिता आलमगीर आलम का हाथ पकड़ कर राजनीति में अपनी छवि को मजबूत बना ही रहे थे कि परिवार पर मुसीबत आन पड़ी। पिता आलमगीर आलम को मनी लांड्रिंग केस में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। आलमगीर आलम जेल चले गए और तनवीर आलम के सामने पिता के राजनीतिक विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती आ गई। इस कठिन परिस्थिति में भी तनवीर आलम ने खुद को टूटने नहीं दिया। उन्होंने ना सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि आलमगीर आलम के जेल जाने के बाद मायूस कार्यकर्ताओं को भी हौंसला दिया। पिता के जेल जाने के बाद तनवीर आलम के चेहरे साफ बयां कर रहे थे कि वे किस परिस्थिति से गुजर रहे हैं। फिर भी किसी को एहसास तक होने नहीं दिया। ऐसी परिस्थिति में भी खुद नहीं टूटे और कार्यकर्ताओं को भी टूटने नहीं दिया। कठिन परिस्थिति में भी चेहरे पर मुस्कान लाकर कार्यकर्ताओं को हिम्मत दिया।उनमें हिम्मत बनाए रखा और आलमगीर आलम के कथनों को याद दिलाते गए। आलमगीर आलम का जेल जाना ऐसे समय पर हो रहा था, जब चुनाव मुंह बाए सामने खड़ी थी और विरोधी मजबूती के साथ मैदान में उतरने की तैयारी शुरू कर चुके थे। तनवीर आलम ने हर परिस्थितियों का सामना किया और अंततः मां की जीत को मजबूत दिशा भी दी। तनवीर आलम पूरे चुनाव में साया बनकर मां के साथ खड़े रहे। मां निसात आलम के साथ साए की तरह चलते रहे और पाकुड़ विधानसभा सीट पर परचम लहरा दिया। बता दें कि कांग्रेस की निसात आलम को कुल 1 लाख 55,827 वोट मिले और 86,029 वोटों के रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES

Recent Comments