समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। शहर के थाना पाड़ा के रहने वाले एक दंपत्ति की प्रेम कहानी आज के युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है। कॉलेज में प्यार हुआ और घरवालों को मनाने में 14 साल लग गए। आखिर तक दोनों ने हार नहीं मानी और घर वालों को मनाने में कामयाब रहे। इतने लंबे समय तक मजबूत इरादों के साथ प्यार को बना कर रखना, एक दूसरे के प्रति विश्वास को कायम रखना और प्यार को अंजाम तक पहुंचाने में विश्वास रखना, अपने आप में बड़ी बात है। इस प्रेम कहानी में 36 साल बाद भी वही प्यार और विश्वास आज भी बरकरार है। अमित कुमार सिंह उर्फ बॉबी सिंह और शताब्दी बोस की इस प्रेम कहानी में प्यार और विश्वास के साथ-साथ धैर्य की परीक्षा खास तौर पर दिखाई देता है। अमित कुमार सिंह बताते हैं कि 1988-89 का दौर था, जब दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। इसमें दिलचस्प बात यह है कि दोनों एक ही मोहल्ले के रहने वाले थे। मगर हम लोगों की फैमिली बाद में आकर बसी और शताब्दी की फैमिली पहले से ही थी। लेकिन उस समय एक दूसरे से लगभग अनजान ही थे। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान दोस्ती हुई। शताब्दी मुझसे जूनियर थी। हमारी दोस्ती कब प्यार में बदल गई, पता भी नहीं चला। मैं और शताब्दी इतने करीब हो गए कि, एक दूसरे के बिना एक पल भी बिताना मुश्किल सा लगने लगा। इस तरह दिन बीतते गए और दोनों में प्यार गहराता गया। आखिरकार हमने एक दूसरे को प्रपोज कर ही दिया। अमित कुमार सिंह बताते हैं कि घर आकर भी दोनों एक दूसरे को देखने या मिलने के लिए बेताब रहते थे। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि गर्मी के बहाने छत पर आ जाते थे और दूर से ही एक दूसरे को निहारते थे। धीरे-धीरे हमारी प्रेम कहानी परिवार वालों के कानों तक पहुंच गई। एक समय ऐसा लगा कि हम दोनों के प्यार के बीच कोई दीवार सा खड़ा होने लगा है। क्योंकि दोनों के परिवार वाले हमारे रिश्ते से खुश नहीं थे। परिवार वालों को मनाने में करीब 14 साल लग गए। इसके बाद साल 2002 में हमारी शादी हुई। इसके बाद ना सिर्फ हमारा प्यार अंजाम तक पहुंचा, बल्कि दो परिवार के बीच मधुर संबंध भी बढ़ते गए। शादी के 12 साल बाद भी हमारा वही प्यार आज भी बरकरार है। आज हम पति-पत्नी के रूप में 18 साल के बेटे आराध्य सिंह के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। अमित कुमार सिंह ने कहा कि मुझे वह दिन आज भी अच्छी तरह याद है, जब हमारे संबंध को लेकर मेरी मां नाराज थी। लेकिन शताब्दी ने अपने व्यवहार और उस प्यार से मां का दिल भी जीत लिया, जिस प्यार ने दो नाराज परिवार को शादी के लिए मनाया था। मेरी मां ने शताब्दी के प्यार से प्रभावित होकर कहा था कि हमने अपने जीवन में जरूर कोई पुण्य किया है, जो मुझे बहू के रूप में शताब्दी जैसी बेटी मिली है।
