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Maqsood Alam
(News Head)

प्रकृति विहार का खतरे में वजूद, प्रशासनिक उपेक्षा की दास्तां बयां कर रहा है पार्क

सूख रहे हैं फूल-पौधे, गायब है हरियाली

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Gunjan Saha
(Desk Head)

ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। प्रकृति विहार : एक सुंदर व आकर्षक नाम ! जब कोई शख्स भीड़-भाड़, उबाऊ व व्यस्त दिनचर्या से निकलकर पार्क-प्रकृति विहार पहुंचे! पहुंचकर, प्राकृतिक आनंद का अहसास न हो ! कुदरती झलक आंखों को न मिले ! तो समझ में आ जाता है कि प्रकृति विहार अपना अस्तित्व खो रहा है। उपेक्षा और उदासीनता का दंश झेल रहा है! यह सच है कि यहां स्थित इस मनोरंजन स्थल का वजूद खतरे में है। बासलोय नदी की अनवरत प्रवाहित जलधार, श्यामल पत्थरों के मौन संगीत, झाड़ी-झुरमुठों और पहाड़ी श्रृंखलाओं की कुदरती नियामत की गोद में दो दशक पूर्व निर्मित इस पार्क को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की परिकल्पना आज तक साकार नहीं हो पाया है। करीब दो माह पूर्व जिले के उपायुक्त मनीष कुमार , उपविकास आयुक्त महेश कुमार संथालिया सहित अन्य अधिकारियों ने प्रकृति विहार का विजिट किया था। पदाधिकारियों ने पार्क की अद्यतन स्थिति का आकलन व अवलोकन किया था। संबंधित बीडीओ और सीओ को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिया था। लोगों को यह महसूस हुआ था कि इस मनोरंजन के विरासत की सूरत बदलेगी। प्रकृति विहार फिर से संवरेगा ! किन्तु, अबतक सरजमीं पर ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया है। खैर, जो भी हो इसके उन्नयन और विकास की दिशा में प्रशासनिक अभिरुचि जनहित में होनी चाहिए।

खो चुकी है पार्क की हरियाली

हरे-भरे पेड़-पौधों और फूल-पत्तियों का विस्तार बेचैन मन को शांति और सुकून देता है। किंतु, इस पार्क के कतारबद्ध लगे पौधे सूख चुके हैं। फूल हैं ही नहीं।

टूट चुके हैं बाल मनोरंजन के सामान

पार्क में वर्षों पुराने लगे झूले टूट चुके हैं।बच्चों के आकर्षण के अन्य संसाधन भी जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं।

हवामहल भी जोह रहा है निर्वहन का बाट

पार्क का मुख्य आकर्षण हवामहल को भी निर्वहन की जरूरत है। इसपर चढ़ने वाली सीढ़ी, पकड़ने वाले ऐंगल, ऊपर के सेफ्टी वॉल सब उचित निर्वहन की नितांत कमी में कमजोर हो चुके हैं।

कोल कंपनियां भी पार्क की बदतर हालत से हैं बेखबर

उल्लेखनीय है कि प्रखंड क्षेत्र में बीजीआर और डीबीएल जैसी दो बड़ी कोल कंपनी संचालित हैं। रोजाना करोड़ों के कोयले का व्यापार हो रहा है किन्तु, इस मनोरंजन स्थल के समुचित निर्वहन अथवा विकास या जीर्णोद्धार से किसी को कोई मतलब नहीं है। भले ही बीजीआर अथवा डब्लूबीपीडीसीएल ने इसके समग्र मेंटेन का जिम्मा ले रखा हो।

क्या कहते हैं सीओ

इधर सीओ औसाफ अहमद खान ने कहा कि इसके सौंदर्यीकरण को ले प्रशासन गंभीर है। पार्क के जीर्णोद्धार व विकास के लिए प्रशासनिक प्रयास जारी है।

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