समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। शहर के जिदातो मिशन कैंपस में शुक्रवार को संताली लिटरेरी एंड कल्चरल सोसायटी की ओर से तीन दिवसीय स्वर्ण जयंती सेमिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन पचास साल बाद किया जा रहा है। जिसे गोल्डन जुबली के रूप में आयोजित किया गया है। उद्घाटन उपायुक्त मनीष कुमार, झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष प्रणेश सोलेमान, अपर समाहर्ता जेम्स सुरीन, जिला पंचायत राज पदाधिकारी प्रितिलता मुर्मू, छोटा नागपुर डायसिस के बिशप रेवरेंट बीबी बास्की, रेव्हरन रौशन हांसदा सहित अन्य अतिथियों ने द्वीप प्रज्वलित कर किया। इससे पहले अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंट कर भव्य स्वागत किया गया। अतिथियों को मोमेंटो प्रदान कर एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। आयोजित सेमिनार में संथाली भाषा के विकास उत्थान पर विशेष जोर दिया गया। अतिथियों और तमाम वक्ताओं ने अपने संबोधन में संथाली भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि संथाली भाषा एक मधुर भाषा है। मुझे तो यह भाषा काफी पसंद है और अच्छी लगती है। मैं संथाली भाषा सीखने का प्रयास कर रहा हूं। एक रुटिन के तहत संथाली भाषा को किताबों के जरिए भी सीख रहा हूं। उपायुक्त ने कहा कि जनवरी में प्रशासन की ओर से तीन दिनों का सोहराय पर्व का आयोजन किया गया था। इस दौरान हमने संथाली भाषा को काफी नजदीक पाया। इसी दौरान संथाली भाषा ने मुझे काफी प्रभावित किया। तभी से मेरे मन में संथाली सीखने की इच्छा जगी और मैंने सीखना शुरू भी कर दिया।

उन्होंने कहा कि संथाली संस्कृति, परंपरा और भाषाओं को संजोए रखने के लिए हमारे युवा पीढ़ी को जागरूक होना होगा। उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा। उपायुक्त ने कहा कि यह आयोजन 50 साल के बाद हो रहा है। इससे पहले 1973 में पाकुड़ में इसका आयोजन हुआ था। आज गौरव का दिन है कि इस आयोजन को गोल्डन जुबली के रूप में मना रहे हैं। मैं युवा पीढ़ी से अपील करूंगा कि संथाली भाषा के विकास के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभाना सीखें। निश्चित रूप से संथाली भाषा बहुत ही मधुर और आकर्षित करने वाली भाषा है। उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि युवा पीढ़ी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम हमारी अपनी भाषा, संस्कृति और परंपरा को विलुप्त होने नहीं देंगे। झारखंड के संताल परगना का पाकुड़ जिले की यह धरती ऐतिहासिक है। यहां मार्टिलो टावर जैसी स्मृतियां हैं, जो पाकुड़ जिले वासियों के लिए गौरव की बात है। मैंने पाकुड़ को जहां तक देखा है, मुझे लगता है यहां काफी प्रतिभाएं है। उन्होंने कहा कि अगले महीने पाकुड़ में एक लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित करने जा रहे हैं। यह आयोजन जनजाति भाषा और संस्कृति पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि एक प्रतियोगिता आयोजित किए जाएंगे।जिसमें 20 साल, 30 साल, 40 साल, 50 साल पहले पाकुड़ किस तरह दिखता था। पाकुड़ शहर की तस्वीरें कैसी होती थी। पाकुड़ की खास पहचान गांधी चौक का नजारा कैसा था। उस समय जो एक दूसरे को पत्राचार करते होंगे, उन पत्राचारों में किस तरह की भावनाएं होती थी, कैसे पत्र लिखे जाते थे और पत्र में क्या होता था। उस दौरान की तस्वीरों को हम इकट्ठा करेंगे और फिर एक कंपटीशन कराएंगे। उपायुक्त मनीष कुमार ने अपील करते हुए कहा कि अगर किन्ही के पास उस जमाने की पाकुड़ की तस्वीरें है या किसी भी तरह के पत्र हैं, तो हमारे कंपटीशन में शामिल कर सकते हैं। वहीं जिला पंचायत राज पदाधिकारी प्रीतीलता मुर्मू ने कहा कि हमारी भाषा एवं संस्कृति समृद्ध हैं। पूर्व से रोमन लिपि में संताली साहित्य की काफी सारी रचनाएं लिखी गई है। लेकिन अभी लिखित साहित्य को यहां की मानक लिपि में और विकास करने की जरूरत है। संताली लिटरेरी एंड कल्चरल सोसायटी के झारखंड ब्रांच के सचिव जयराज टुडू ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि 1973 में जो अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार हुई थी, उसके 50 वर्ष पूरा होने पर यह स्वर्ण जयंती समारोह मनाया जा रहा है। संताली भाषा एवं साहित्य की तब की क्या स्थिति थी और आज की क्या स्थिति है, इस पर हमें चिंतन करने की आवश्यकता है तथा संताली साहित्य के विकास के लिए आगे का रास्ता तय करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर ऑल इंडिया संथाल वेलफेयर एंड कल्चरल सोसायटी के महासचिव डॉ तोनोल मुर्मू ने अपने संबोधन में इस समारोह के आयोजन के उद्देश्य एवं लक्ष्य के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आधुनिक समय में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विकास के साथ-साथ संताली भाषा में भी तकनीकी भाषा को विकसित करने की जरूरत है और संथाल परगना क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा को ही मानक संताली भाषा के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए तथा इसे ही अपनाने की जरूरत है।

इस अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण जयंती समारोह में विशेष कर संपूर्ण झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार एवं नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, नॉर्वे एवं डेनमार्क से भी प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम में मंच का संचालन रेवरेंट रोशन हांसदा के द्वारा किया गया। इस मौके पर डॉ डोमिनिका मरांडी, गेब्रियल सोरेन, रमेश चंद्र किस्कू, आलाकजाड़ी मुर्मू, दिलीप हेंब्रम, प्रो सुधीर कुमार मित्रा, भरत टुडू, राजशेखर मरांडी, गुरु नागेंद्र नाथ हेंब्रम, मनोरंजन सोरेन, छवि हेंब्रम, डॉ भागमत मरांडी, मथियस बेसरा आदि मौजूद थे।