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Maqsood Alam
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ऑक्सीजन नहीं होने व चालक के दुर्व्यवहार से नाराज मरीज के परिजनों ने काटा बवाल, एंबुलेंस में तोड़फोड़, चालक की पिटाई

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Gunjan Saha
(Desk Head)

समाचार चक्र संवाददाता

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Drona

पाकुड़। एंबुलेंस चालक के दुर्व्यवहार और ऑक्सीजन नहीं मिलने से मरीज की हालत बिगड़ने पर परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और जमकर हंगामा मचाया। परिजनों ने हंगामा करते हुए एंबुलेंस में तोड़फोड़ की और चालक की भी हल्की पिटाई कर दी। इसके बाद मरीज को एंबुलेंस से उतार कर टोटो से अस्पताल भेज दिया। इसी दौरान मौका देखकर चालक एंबुलेंस लेकर भाग निकला। यह घटना गुरुवार की देर शाम करीब 8:30 बजे ईशाकपुर रेलवे फाटक के पास की है। मिली जानकारी के मुताबिक शाम करीब 8:30 बजे के आसपास ईशाकपुर रेलवे फाटक पर एक एंबुलेंस आकर रुकी, कुछ लोग एंबुलेंस के पिछले दरवाजे से निकले और हंगामा करने लगे। आसपास खड़े लोगों को जब तक कुछ समझ में आती, तब तक एंबुलेंस में तोड़फोड़ शुरू हो गई। ये लोग मरीज के परिजन थे, जो एंबुलेंस में मरीज के साथ बैठे थे। परिजनों के हंगामे से वहां भीड़ इकट्ठा होने लगे। भीड़ ने परिजनों को समझा बूझाकर शांत कराया। तब तक रेलवे फाटक खुल चुकी थी। परिजनों ने मरीज को एंबुलेंस से उतार कर एक टोटो से अस्पताल भेज दिया। इसी बीच चालक भी मौका देखकर एंबुलेंस लेकर तेज गति से भाग निकला। इस दौरान मौके पर मौजूद मरीज के परिजन मुकलेसुर रहमान ने बताया कि हम लोग नवादा गांव के रहने वाले हैं। मेरे भैया आहाद शेख बीमार है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ है। कल उन्हें सदर अस्पताल लेकर गए थे। अस्पताल में चेकअप और इलाज कर छुट्टी दे दिया था। आज शाम को भैया की तबीयत काफी ज्यादा बिगड़ गई। इसके बाद हमने एंबुलेंस के लिए फोन लगाया। एंबुलेंस के चालक ने सीरियस स्थिति में भी दो घंटा इंतजार कराया। एंबुलेंस चालक को कई बार फोन लगाना पड़ा और हर बार दस मिनट में आ रहे हैं, कहते कहते दो घंटा लगा दिया। एंबुलेंस से मरीज को लेकर आ रहे थे। इसी दौरान रास्ते में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, तो एंबुलेंस के चालक ने कहा कि ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं एंबुलेंस के अंदर भीषण गर्मी से बचने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं थी। अंदर बैठे सभी के दम घुट रहे थे। यहां तक की चालक ने लाइट भी जलाने से मना कर दिया। इसी दौरान गर्मी और घुटन से मरीज के साथ-साथ हमारे साथ बैठे एक अन्य व्यक्ति की भी तबीयत बिगड़ गई और वह अंदर ही बेहोश हो गया। एंबुलेंस के चालक को बीच रास्ते में कई बार रुकने के लिए कहा गया, लेकिन नहीं रुका। एंबुलेंस यहां भी शायद नहीं रुकती, अगर फाटक बंद नहीं होता। फाटक में जैसे ही एंबुलेंस रुकी, घुटन से बचने और जान बचाने के लिए पीछे के गेट को धक्का मार कर बाहर निकले। इसके बाद हमने राहत की सांस ली। अगर एंबुलेंस यहां भी नहीं रुकती तो हम सब की तबीयत खराब हो सकती थी और हमारे साथ कुछ भी हो सकता था। इस दौरान भीड़ में मौजूद लोगों का कहना था कि घटना के पीछे एंबुलेंस के चालक का दुर्व्यवहार और एंबुलेंस में सुविधाओं की कमी मुख्य वजह है। अगर गरीब मरीजों के साथ इस तरह का व्यवहार होता है, तो नाराजगी स्वाभाविक है। इधर सिविल सर्जन डॉ मंटू कुमार टेकरीवाल ने घटना से अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि मुझे घटना की जानकारी नहीं है।

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