समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। सदर प्रखंड अंतर्गत खपराजोला स्थित साइडिंग में आने जाने के लिए छोड़े गए रास्ते को रेलवे के द्वारा बंद कर दिए जाने से ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। नाराज ग्रामीणों ने मंगलवार को सुबह से ही पत्थर लोडिंग को रोक दिया। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक रास्ता नहीं खुलेगी, तब तक पत्थर लोडिंग करने नहीं दिया जाएगा। कंपनी को ग्रामीणों ने बिना रास्ता छोड़े पत्थर लोडिंग करने से साफ मना कर दिया। इस दौरान ग्रामीणों ने विरोध में सुबह से कुछ समय के लिए लोडिंग स्थल को जाम कर प्रदर्शन भी किया। इसके बाद पाकुड़ दौरे पर आए पूर्व रेलवे महाप्रबंधक कोलकाता मिलिंद देउस्कर जब दोपहर को साइडिंग पहुंचे तो ग्रामीणों ने अपनी बात रखी। इस दौरान मालपहाड़ी पंचायत के पूर्व मुखिया मंगल हांसदा भी मौजूद थे। पुर्व मुखिया ने महाप्रबंधक मिलिंद देउस्कर को ग्रामीणों की ओर से पक्ष रखा। हालांकि महाप्रबंधक ने बरहरवा की घटना का हवाला देते हुए रास्ता छोड़ने से मना कर दिया। इसके बाद महाप्रबंधक मिलिंद देउस्कर वहां से निकल गए। महाप्रबंधक के निकलने के बाद ग्रामीणों ने कंपनी को पत्थर लोडिंग करने से मना कर दिया। इधर पूर्व मुखिया मंगल हांसदा ने बताया कि जिस जगह पर मालगाड़ी में पत्थर लोडिंग का काम होता है, वहां शुरू से ही बीच में रास्ता छोड़ा हुआ था। आज अचानक सुबह से रास्ते को बंद कर मालगाड़ी में पत्थर लोडिंग का काम किया जाने लगा। इसकी खबर मिलते ही ग्रामीण वहां पहुंचे। मुझे सूचना मिली तो मैं भी वहां पहुंचा। आकर देखा तो पहले से छोड़े हुए रास्ते को बंद कर मालगाड़ी में पत्थर लोड किया जा रहा है। इसके बाद सभी ग्रामीणों ने विरोध करते हुए पत्थर लोडिंग का काम बंद करा दिया। कंपनी के लोगों को भी स्पष्ट रूप से कहा गया कि रास्ता नहीं छोड़ने तक पत्थर लोडिंग का काम बंद रहेगा। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि खपराजोला गांव दो भागों में बंटा हुआ है। जिस जगह मालगाड़ी में पत्थर लोडिंग हो रहा है, वहां से रेल लाइन के दोनों ओर गांव के लोग निवास करते हैं। एक तरफ रेल लाइन के उस पार खपराजोला मुख्य गांव है, जहां लगभग 400 परिवार निवास करते हैं। दूसरी तरफ इस पार घोड़ा पहाड़ी टोला में भी 350 से 400 परिवार रह रहे हैं। दोनों तरफ के ग्रामीणों को अपने-अपने काम से इस पार से उस पार आना-जाना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि घोड़ा पहाड़ी टोला के बच्चों को पढ़ने के लिए खपराजोला में स्थित स्कूल जाना पड़ता है। अगर रास्ता ही नहीं रहेगा, तो ग्रामीण या स्कूल के बच्चें इस पार से उस पार आना-जाना कैसे करेंगे। पूर्व मुखिया ने कहा कि ग्रामीणों ने रेलवे के अधिकारी को काफी देर तक समझाने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी और बरहरवा की घटना का हवाला देते हुए रास्ता नहीं छोड़ने की बात कहकर निकल गए। ग्रामीणों ने पत्थर लोडिंग का काम पूरी तरह बंद रखने का निर्णय लिया है। अगर रास्ता नहीं दिया जाता है, तो पत्थर लोडिंग का काम बंद रहेगा।

