समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। वन प्रमंडल में एशियन वॉटर बर्ड सेंसस का आयोजन किया गया। यह पहला आयोजन था, जिसमें पक्षी विषेशज्ञों ने हिस्सा लिया। पक्षी विषेशज्ञों ने पक्षियों के संरक्षण पर जोर दिया। यह कार्यक्रम पक्षी विशेषज्ञों के नेतृत्व में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह ऐतिहासिक पहल पाकुड़ वन प्रमंडल पदाधिकारी सौरभ चंद्रा के निर्देश पर किया गया। जिसमें पक्षी विशेषज्ञ दशरथ ठाकुर, संजय खाखा, अविनाश कुमार और जिब्रान अली शामिल हुए। यह 16 और 17 जनवरी 2025 को पाकुड़ वन प्रमंडल के विभिन्न प्रमुख वेटलैंड्स और जलाशयों में आयोजित किया गया। इनमें पत्थरघट्टा नसीरपुर, मालीपाड़ा निहारपाड़ा, सोहूबिल तालाब, सलगापाड़ा डैम, देवीपुर तालाब, दुर्गापुर डैम, और सिमलॉन्ग माइनिंग लेक शामिल हैं। आयोजित कार्यक्रम के तहत सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष में कुल पक्षियों की संख्या 3488, पक्षी प्रजातियों की संख्या 28, निवासी प्रजातियां 26 तथा प्रवासी प्रजातियां 2 शामिल किया गया।प्रवासी पक्षी की बात करें तो कॉटन टील 75 तथा रेड क्रेस्टेड पोचार्ड 242 थी। वहीं निवासी पक्षी में सबसे अधिक संख्या में लेसर व्हिस्लिंग डक 2320 देखा गया। इसके अतिरिक्त लिटिल ग्रेब, कैटल ईग्रेट, इंडियन पौंड हेरोन, लार्ज ईग्रेट, मेडियन ईग्रेट, ब्लैक शोल्डर्ड काइट, कॉमन मूरहेन, कॉमन सैंडपाइपर, और एशियन ओपनबिल स्टार्क जैसी प्रजातियां भी पाई गई। इस दौरान संरक्षण की आवश्यकता पर चर्चा हुई। सर्वेक्षण के दौरान पक्षियों की प्रजातिगत विविधता, विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति ने यह स्पष्ट किया कि पाकुड़ वन प्रमंडल के वेटलैंड्स और जलाशयों का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, स्थानीय समुदाय को पक्षियों और उनके आवास के संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी आवश्यक है।
