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मजाक बना सरकारी स्कूलों में वार्षिक परीक्षा का आयोजन, दूर-दूर तक नहीं दिख रहा पारदर्शिता

सिस्टम पर उठ रहे सवाल, शिक्षा विभाग की हो रही किरकिरी

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अबुल काशिम @समाचार चक्र

पाकुड़। सदर प्रखंड के सरकारी स्कूलों में वार्षिक परीक्षा का आयोजन मजाक बनकर रह गया है। जिस तरह परीक्षा आयोजित किया जा रहा है, इससे सिस्टम पर ही सवाल उठने लगे हैं। परीक्षा के आयोजन में पारदर्शिता दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है। इससे सिस्टम पर सवाल तो उठ ही रहा है, शिक्षा विभाग की भी किरकिरी हो रही है। दरअसल सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 7 तक के छात्रों के लिए मंगलवार से वार्षिक परीक्षा (एसए- टू) शुरू हुआ है। परीक्षा में पारदर्शिता का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है।सदर प्रखंड के मध्य विद्यालय किस्मत कदमसार में मंगलवार को परीक्षा का जो नजारा दिखा, वो हैरान कर देने वाला है। एक साथ एक ही कक्षा के छात्र-छात्राएं एक दूसरे से बिल्कुल करीब बैठे और सटे हुए परीक्षा दे रहे थे। एक दूसरे की कॉपी करना तो स्वाभाविक है, छात्र-छात्राएं आपस में ही एक दूसरे को सहयोग करते नजर आए। इतना ही नहीं 8 से 10 या इससे भी अधिक बच्चों की एक-एक टीम बरामदा, सीढ़ी एवं अन्य जगहों पर साथ बैठकर परीक्षा देते नजर आए। हालांकि यहां रुम की कमी बताया गया। जिसके चलते ही बच्चों को एक साथ बैठाना पड़ा। लेकिन अधिकतर स्कूलों में ऐसी ही व्यवस्था की खबरें मिली हैं। यह कहीं ना कहीं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे बच्चों के टैलेंट को समझना भी मुश्किल होगा। बच्चों में नकल उतारने की आदत भी पड़ सकती है। इसलिए शिक्षा विभाग को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

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मकसूद आलम

एडिटर इन चीफ

गुंजन साहा

डेस्क हेड & एडमिन

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