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अंगिका भाषा को नियुक्ति नियमावली में शामिल करने की मांग

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Gunjan Saha
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समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़। अंगिका समाज का पांच सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश उपाध्यक्ष भागीरथ तिवारी एवं जिला अध्यक्ष डाॅ. मनोहर कुमार के नेतृत्व में सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त मनीष कुमार को मांगों का एक ज्ञापन सौंपा। जिला शिक्षा पदाधिकारी अनीता पूरति को भी मांग पत्र का एक प्रति सौंपा गया। झारखंड प्रदेश अंगिका समाज के जिला संयोजक रामरंजन कुमार सिंह ने बताया कि पूरे संथाल परगना प्रमंडल की क्षेत्रीय भाषा अंगिका को नियुक्ति नियमावली जेटेट से हटाए जाने का विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संथाल परगना के छह जिले अविभाजित बिहार राज्य में पुराने भागलपुर जिला के अंतर्गत रहे हैं और भागलपुर स्थित चंपा राजा कर्ण की राजधानी थी। यह भी कहा कि त्रेता युग में राजा रोमपाद एवं द्वापर युग में राजा कर्ण अंग देश के राजा थे। उन्होंने कहा कि राजा कर्ण की राजधानी भागलपुर स्थित चंपा थी और अंग देश की भाषा अंगिका थी।कहने का तात्पर्य है कि अंगिका भाषा अति प्राचीन भाषा है। अंग देश के राजा कर्ण के अस्तित्व का प्रमाण झारखंड राज्य में है। देवघर जिला के कर्रो में कर्णेश्वर मंदिर एवं जामताड़ा जिला के करमदाहा में राजा कर्ण के द्वारा स्थापित महादेव मंदिर वर्तमान समय का साक्षात प्रमाण है। तिलका मांझी का कार्य क्षेत्र संथाल परगना रहा और उनके सम्मान में अविभाजित बिहार राज्य के भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम तिलकामांझी विश्वविद्यालय रखा गया है। जहां अंगिका भाषा की पढ़ाई तथा शोध कार्य किए जाते हैं। भागलपुर शहर के पूर्वी भाग सैन्डिस कंपाउंड के आगे चौक का नाम स्वतंत्रता सेनानी तिलका मांझी चौक रखा गया है, जो अति प्रसिद्ध है। अविभाजित बिहार राज्य का पुराना जिला भागलपुर के अंतर्गत संथाल परगना थी। अत: संथाल परगना के निवासी अंग क्षेत्र के मूल वासी हैं। जिसकी भाषा अंगिका रही है। झारखंड सरकार ने वर्ष 2018 में अंगिका भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था। जबकि झारखंड लोक सेवा आयोग, रांची के द्वारा वर्ष 2007 में आयोजित प्रारंभिक शिक्षक परीक्षा में अंगिका भाषा का 30 अंकों के प्रश्न रखे गए थे और झारखंड अधिविद्य परिषद्, रांची के द्वारा आयोजित जेटेट 2012 एवं जेटेट 2016 परीक्षा में भी 30 अंकों के प्रश्न पूछे गए थे। उन्होंने कहा कि संपूर्ण संथाल परगना के वासी अंगिका के मूल वासी हैं। अंगिका भाषा-भाषी बहुल क्षेत्र है। जहां आज भी 60 प्रतिशत से अधिक लोग अंगिका बोलते हैं। अन्य भाषा-भाषी के बीच संपर्क भाषा अंगिका है। इसलिए अंगिका क्षेत्र के अधिकांश युवक-युवतियों को नियोजन एवं शिक्षक नियुक्ति का अधिकार मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री से विनम्र निवेदन है कि अंगिका भाषा को जेटेट नियुक्ति नियमावली में शामिल करने की अनुशंसा अपने स्तर से झारखंड सरकार की सेवा में भेजा जाए।

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