समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। सदर प्रखंड अंतर्गत तिलभिठा रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर पर स्थित कुलापहाड़ी रेलवे फाटक के गेट को शनिवार को अचानक ही रातों-रात हमेशा-हमेशा के लिए बंद करा दिया गया। इससे ग्रामीणों के सामने बड़ी मुसीबत आकर खड़ी हो गई है। एक तरह से गेट के दोनों छोर पर स्थित विशेष कर संग्रामपुर, कुमारपुर और कुलापहाड़ी के 30 हजार ग्रामीणों को रेलवे ने आफत में डाल दिया है। अब इमरजेंसी में भी फायर ब्रिगेड जैसी सुविधा के लिए ग्रामीणों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यहां बताना जरूरी होगा कि रेलवे ने गेट बंद करने का यह कदम इसलिए उठाया है, कि फाटक के पास से ही सब-वे का निर्माण कराया गया है। लेकिन इस सब-वे की जो संरचना है, उसमें बड़ी वाहनों को निकलने में काफी दिक्कतें होगी। इसे आसान शब्दों में कहे तो फायर ब्रिगेड जैसी वाहनों को सब-वे के रास्ते निकालना संभव नहीं होगा। इसके अलावा बोरिंग के लिए वाहनों की जरूरत पड़ने पर, उन वाहनों को भी सब-वे के रास्ते से निकाला नहीं जा सकेगा। यह कहीं ना कहीं रेलवे का जाने अनजाने में ही सही, ग्रामीणों के के लिए सिरदर्द भरा कदम है। इसलिए शनिवार की देर रात अचानक ही रेलवे पुलिस और अधिकारियों की टीम जैसे ही गेट को बंद करने पहुंची, उन्हें ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। हालांकि ग्रामीणों के लाख विरोध के बावजूद रेलवे के अधिकारी और रेलवे पुलिस ने भी एक नहीं सुनी। इसके बाद ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी तक दे डाला। मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार की रात करीब 10:00 बजे भारी संख्या में पुलिस बल के साथ रेलवे के अधिकारी कुलापहाड़ी रेलवे फाटक के पास पहुंचे और गेट को हमेशा-हमेशा के लिए बंद करने का काम शुरू कर दिया। इसकी जानकारी मिलते ही ग्रामीणों का पहुंचना शुरू हो गया। काफी संख्या में ग्रामीण वहां पहुंचे और रेलवे के अधिकारी और पुलिस से भी रेलवे गेट को बंद नहीं करने का अनुरोध करने लगे। अधिकारियों के सामने ग्रामीण गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों के अनुरोध को तवज्जो नहीं दिया। अधिकारियों और रेलवे पुलिस के सामने रात करीब 1:00 बजे तक ग्रामीण हाथ जोड़ते रह गए। लेकिन तत्काल कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद ग्रामीण वहां से निकल गए और रेलवे ने ग्रामीणों के हित में जल्द निर्णय नहीं लिया तो आंदोलन की चेतावनी दी। इधर मौके पर मौजूद रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हबीबुर रहमान ने बताया कि बिना सूचना के रेलवे के अधिकारी काफी संख्या में पुलिस बल के साथ पहुंचकर रेल गेट को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया। इससे ग्रामीणों के लिए बड़ी मुसीबत सामने खड़ी हो गई है। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को भी नहीं ला सकते हैं। क्योंकि पास में जो सब-वे का निर्माण रेलवे के द्वारा किया गया है, वहां से गाड़ी को मोड़ कर निकालना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि सब-वे की ऊंचाई भी बड़े वाहनों को निकालने जैसी स्थिति में नहीं है। इसके अलावा अगर बोरिंग के लिए भी वाहन बुलाते हैं, तो भी सब-वे से नहीं ला सकते हैं। ग्रामीणों की ओर से काफी अनुरोध करने के बाद भी रेलवे ने बात नहीं मानी। इस मामले में सांसद विजय हांसदा जी से हमारी बात हुई है। उन्होंने इस पर ठोस पहल करने का आश्वासन दिया है। उम्मीद है सांसद के पहल पर ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए जल्द ही इस पर रेलवे का फैसला आएगा। अन्यथा ग्रामीण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे और इसकी जिम्मेवारी रेलवे की होगी। इधर रेलवे के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया, जिस वजह से उनका पक्ष यहां रखा नहीं जा सका

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