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दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में आदिम जनजाति समाज के विकास पर जोर

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Gunjan Saha
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समाचार चक्र संवाददाता

पाकुड़। केकेएम कॉलेज में भारतीय आदिम जनजाति समूह समावेशी विकास की चुनौतियों पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मंगलवार को किया गया। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश भर से शिक्षाविद एवं बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एसकेएम यूनिवर्सिटी दुमका के वॉइस चांसलर प्रो. डॉ विमल प्रसाद सिंह ने शिरकत किया। इनके अलावा एसकेएम यूनिवर्सिटी दुमका के डीएसडब्ल्यू डॉ जैनेंद्र यादव, पूर्व हेड डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली के प्रो. पमेला सिंगला, डॉ भीमराव अंबेडकर कालेज, यूनिवर्सिटी आफ दिल्ली के प्राचार्य प्रो सदानंद प्रसाद, इन्वायरमेंटल एक्टिविस्ट पद्मश्री चामी मुर्मू एवं एसकेएम यूनिवर्सिटी दुमका के पूर्व वाइस चांसलर प्रो. प्रमोदिनी हांसदा शामिल हुए। अतिथियों ने राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन दीप जलाकर किया। इस दौरान केकेएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ युगल झा, पूर्व प्राचार्य डॉ शिव प्रसाद लोहार, प्रो. मनोहर कुमार, लिट्टीपाड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता शिवचरण मालतो सहित कॉलेज के शिक्षक-शिक्षिकाएं और काफी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद थे। इससे पहले अतिथियों का भव्य तरीके से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में आदिम जनजाति समाज के विकास पर जोर दिया गया। उनके विकास के साथ-साथ चुनौतियों पर भी चर्चा हुई।

इस दौरान समाज के विकास और चुनौतियों से जुड़ी किताबों का विमोचन भी किया गया। मुख्य अतिथि एसकेएम यूनिवर्सिटी दुमका के वाइस चांसलर डॉ विमल प्रसाद सिंह ने कहा कि आदिम जनजाति समाज के विकास में भले ही लाखों चुनौतियां हो, लेकिन हमें इन चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना होगा। इस तरह का आयोजन समाज के विकास में वरदान साबित हो सकता है। इस मंच में मौजूद तमाम बुद्धिजीवी समाज के विकास पर जोर देंगे, तो निश्चित ही बदलाव दिखेगा। इस मंच पर उपस्थित तमाम लोगों को यह संकल्प लेकर जाना होगा कि देश के विकास के लिए इस समाज को आगे लाने के लिए जब भी जरुरत पड़ेगा, कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का यह मकसद भी है कि हम आदिम जनजाति समाज के विकास पर गंभीरता से मंथन करें। ताकि देश के इस पिछड़े समाज के भोले भाले और शांति प्रिय लोगों को आगे बढ़ाया जा सके। इसके लिए इन्हें शिक्षा से जोड़ना पहला काम होना चाहिए। शिक्षा ही एकमात्र ऐसा हथियार है, जिसके दम पर हर चुनौतियों को हराया जा सकता है।

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