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Maqsood Alam
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मिसाल: 38 साल की उम्र में 25 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं रक्तवीर मुकलेसुर

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Gunjan Saha
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अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। इंसान के शरीर में बहता खून दुनिया की किसी भी मशीन में बन नहीं सकती है। यह इंसान के शरीर में ही बढ़ता है और जरूरत पड़ने पर दूसरों की जान बचाने में काम आ सकता है। इसलिए जब किसी को जरूरत पड़े, रक्तदान जरुर करें। आपके रक्तदान से किसी की जान बच सकती है। किसी ने क्या खूब कहा है कि मौका दीजिए अपने खून को किसी की रगों में बहने का, ये लाजवाब तरीका है कई जिस्मों में जिंदा रहने का। इसी राह पर चलते हुए रक्तवीर मुकलेसुर शेख दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं। इस रक्तवीर ने ब्लड डोनेट में गोल्डन जुबली का शानदार अवसर हासिल कर लिया है। जिला मुख्यालय से महज तीन से चार किलोमीटर दूर पाकुड़ सदर प्रखंड के चांचकी गांव के रहने वाले रक्तवीर मुकलेसुर शेख ने 38 साल के उम्र में 25 बार ब्लड डोनेट किया है। यह पल मुकलेसुर शेख के लिए बेहद की गर्वित महसूस करने वाला होगा। हालांकि रक्तवीर मुकलेसुर का बड़प्पन ही है कि वे इंसान के रूप में इसे महज अपनी जिम्मेवारी ही मानते हैं। सदर अस्पताल में रविवार को 55 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला को ओ पॉजिटिव ब्लड देकर मुकलेसुर ने अपने जीवन में 25 वीं बार रक्तदान किया। उन्होंने बताया कि पहली बार साल 2015 में रक्तदान किया था। मेरे ही चांचकी गांव के एक दोस्त की पत्नी को खून की जरूरत थी। मेरे दोस्त की पत्नी गर्भवती थी और उन्हें खून की जरूरत पड़ी। मुझे जानकारी मिली तो रहा नहीं गया और ब्लड देने चले गए। दोस्त की पत्नी को ब्लड देने के बाद मुझे काफी अच्छा लगा। एक अजीब सा सुकून महसूस होने लगा। मुझे अंदर ही अंदर खुशी हो रही थी कि मेरा खून किसी की जिंदगी बचाने का काम आया। एक सवाल के जवाब में मुकलेसुर शेख ने कहा कि पहली बार खून देने में मुझे किसी तरह का डर महसूस नहीं हुआ। मैं खुशी-खुशी गया और रक्तदान किया। इसके बाद लगातार रक्तदान का सिलसिला जारी रहा। मैंने अपने जीवन में 25 वीं बार रक्तदान किया और आज मैं काफी खुश हूं। उन्होंने कहा कि देश में लाखों लोग खून की कमी से जूझ रहे हैं। कितने लोगों की इसकी कमी से मौत हो जाती है। शरीर में ही इसे या तो बढ़ा सकते हैं या जरूरत पड़ने पर दान कर किसी की जिंदगी बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विशेष कर युवाओं को रक्तदान के लिए आगे आना होगा। इसमें किसी भी तरह से शरीर को नुकसान नहीं है, बल्कि रक्तदान से शरीर को फिट रखने में मदद मिलता है। उन्होंने कहा कि हाल ही में मैंने कोलकाता जाकर बॉडी चैकअप कराया। मेरी रिपोर्ट आई तो मैं खुद अचंभित रह गया। मुझे किसी भी तरह की बीमारी नहीं है। रिपोर्ट में सब कुछ नॉर्मल मिला है। उन्होंने रक्तदान के क्षेत्र में काम कर रही इंसानियत फाउंडेशन की काफी प्रशंसा की। कहा कि इंसानियत फाउंडेशन अपने नाम के मुताबिक लोगों की मदद कर रही है। फाउंडेशन से जुड़े तमाम मेंबर रक्तदान के लिए 24 घंटे तैयार रहते हैं। इंसानियत फाउंडेशन के सचिव बानीज शेख और उनकी टीम काफी अच्छा काम कर रही है। उन्होंने कहा कि समाज के लोगों को विशेष कर युवाओं को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए।

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