अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। जिले के हिरणपुर प्रखंड के बरमसिया गांव के रहने वाले रोबेट बेसरा खेती-बाड़ी कर परिवार के साथ खुशहाल जिंदगी बिता रहे हैं। परिवार चलाने के लिए अब रोबेट को बाहर जाना नहीं पड़ता। पेशे से वाहन चालक रोबेट को तीन साल पहले तक पत्नी और पांच बेटियों को घर में छोड़कर कमाने के लिए बाहर जाना पड़ता था। इससे पत्नी और बच्चियों को छोड़कर रोबेट को अकेलापन का महसूस तो होता ही था, वहीं वाहन चलाकर होने वाली कमाई से परिवार का गुजारा करना भी मुश्किल हो रहा था। अब गांव में ही परिवार संग खेती-बाड़ी कर खुशहाल जिंदगी काट रहे हैं। यह सबकुछ मनरेगा योजना का कमाल है। मनरेगा योजना ने रोबेट की जिंदगी बदल दी है। मनरेगा से बनी कुआं ने पूरे परिवार के किस्मत को ही चमका दिया है। अपने 35 बीघा खेती जमीन में सिंचाई सुविधा बढ़ने के बाद हर साल लाखों में कमाने लगे हैं। अब रोबेट बेसरा मामूली वाहन चालक से समृद्ध किसान बन गए हैं। यूं कहे कि रोबेट और उनका परिवार दूसरों के लिए मिसाल बन गए हैं। विशेष कर उन लोगों को रोबेट और उनके परिवार से सबक लेना चाहिए, जो मनरेगा योजना के महत्व को नहीं समझते। दरअसल पांच बेटियों के पिता रोबेट बेसरा की 35 बीघा जमीन होने के बावजूद सिंचाई के अभाव में खेती नहीं कर पाते थे। सिंचाई के लिए मानसून पर ही निर्भर रहना पड़ता था। मुश्किल से साल में एक ही बार फसल उपजा पाते थे। इससे उतनी आय नहीं होती थी, जिससे कि परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकें। इसी वजह से पेशे से वाहन चालक रोबेट बेसरा को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता था। इसी दौरान वित्तीय वर्ष 2018-19 में रोबेट ने ग्राम सभा में सिंचाई कूप निर्माण की मांग रखी। पंचायत प्रतिनिधि और प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों ने रोबेट बेसरा की जमीन पर सिंचाई कूप निर्माण की स्वीकृति दिलाई और उसी साल निर्माण कार्य भी पूरा कराया गया। सिंचाई कूप निर्माण से रोबेट और उनका परिवार खुशी से झूम उठे। इसके बाद से ही रोबेट ने मन ही मन फैसला किया कि अब वह परिवार के साथ रहकर खेती करेंगे। इसके बाद रोबेट ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आलू, बैगन, टमाटर, पालक, धनिया, गोभी जैसे सब्जी की खेती के साथ-साथ स्ट्रॉबेरी की खेती भी करने लगा। यहां से रोबेट और उनके परिवार की जिंदगी ही बदल गई। एक समृद्ध किसान बन चुके रोबेट की आय दोगुनी हो गई। पहले वाहन चालक के रूप में साल में एक लाख की कमाई भी बड़ी मुश्किल से होती थी। लेकिन अब सब्जी और स्ट्रॉबेरी की खेती कर सालाना डेढ़ लाख से भी ज्यादा आमदनी हो जाती है।
रोबेट बेसरा ने कहा
इधर रोबेट बेसरा बताते हैं कि साल 2021 में आलू, बैगन, टमाटर, पालक, धनिया, गोभी की खेती कर सालाना डेढ़ लाख रुपए की आय होती थी। इस साल जेएसएलपीएस के सहयोग से एक बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी, टमाटर और मिर्च की खेती की है। उन्होंने कहा कि शुरुआती दिनों में 600 रुपए प्रति किलो की दर से 30 किलो स्ट्रॉबेरी और अन्य सब्जियों से करीब 30 हजार रुपए की कमाई कर चुके हैं। आसपास के लोग भी स्ट्रॉबेरी की खेती देखकर प्रभावित होने लगे हैं और स्ट्रॉबेरी की खेती की विधि की जानकारी मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगले साल से अपनी 35 बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी और अन्य सब्जियों की खेती कर ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना से सिंचाई कूप निर्माण के बाद मेरी तो किस्मत ही बदल गई है। इससे सालाना डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा आमदनी हो रही है। उन्होंने कहा कि स्ट्रॉबेरी की खेती कर सालाना आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
दीदी बाड़ी योजना में भी मजदूरी करना चाहती है रोबेट की पत्नी
वहीं रोबेट बेसरा की पत्नी कोरोलिना किस्कू कहती है कि अगले ग्राम सभा में दीदी बड़ी योजना स्वीकृत कर सब्जी उगाना चाहती हूं। कहा कि सब्जी की खेती से योजना के माध्यम से मजदूरी की राशि भी मिल जाएगी।
गौरांवित महसूस कर रहे प्रखंड अधिकारी
इधर मनरेगा योजना का सही मायने में इस्तेमाल होते और इसका भरपूर फायदा मिलते देख पंचायत प्रतिनिधि और प्रखंड के अधिकारी भी खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। यूं कहे की पंचायत प्रतिनिधि और प्रखंड के अधिकारी मनरेगा की सफलता की दास्तां से खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। बीडीओ टुडू दिलीप और बीपीओ ट्विंकल चौधरी मनरेगा लाभुकों को रोबेट बेसरा के परिवार की मिसाल देते नहीं थक रहे हैं।
स्ट्रॉबेरी का हब बनेगा हिरणपुर प्रखंड
प्रखंड विकास पदाधिकारी टुडू दिलीप ने कहा कि मनरेगा योजना की सफलता निश्चित रूप से गौरव की बात है। मैं रोबेट और उनके परिवार का आभार व्यक्त करता हूं। पूरा परिवार दूसरों के लिए मिसाल और प्रेरणा है। मैं हिरणपुर प्रखंड को मनरेगा के जरिए स्ट्रॉबेरी का हब बनाना चाहता हूं।