अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। सदर प्रखंड के तिलभिठा सहित आस-पास के दर्जनभर गांवों के लिए यह दुर्भाग्य ही है कि जिस अंडरपास रास्ते का निर्माण ग्रामीणों के सहूलियत के लिए किया गया था, अब वही अंडरपास ग्रामीणों के लिए जी का जंजाल बन गया है। रेलवे ने फाटक को स्थाई रूप से बंद कराकर अंडरपास रास्ते के सहारे छोड़कर ग्रामीणों को मुसीबत में डाल दिया है। अंडरपास का यह रास्ता जहां आए दिन दुर्घटनाओं का सबब बन रहा है, वहीं बारिश के मौसम में यह रास्ता मुसीबत साथ भी लेकर आती है। अंडरपास में बारिश का पानी भर जाने से आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है। इसके बाद लोगों के लिए इस पार से उस पार आने जाने के लिए कोई विकल्प नहीं बचता है। इस पार से उस पार आने-जाने की मजबूरी में लोग अपनी जान को भी जोखिम में डाल रहे हैं। अगर ऐसी स्थिति में कोई घटना हो जाती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। यह बड़ा सवाल है और इस सवाल से रेलवे भाग नहीं सकता है। अंडरपास का यह रास्ता ग्रामीणों के लिए किस कदर परेशानी का सबब बना हुआ है, इसका अंदाजा इस तस्वीर से साफ लगाया जा सकता है। रेलवे फाटक के बंद होने के बाद कई बार बारिश का पानी भर जाने से अंडरपास के रास्ते गुजरने वाले लोगों की जान जाते-जाते बची है। इस साल कई बार इस तरह का नजारा देखने को मिला है। जिसमें लोग वाहन लेकर गुजरते वक्त बुरी तरह फंस जाते हैं। इस दौरान उन्हें जान बचाकर न निकलने का उपाय बन रहा था और ना ही वाहन को आगे पीछे कर पा रहे थे। हाल ही में शुक्रवार को झमाझम बारिश के बाद भी उसी तरह का नजारा देखने को मिला। एक ट्रैक्टर अनाज लेकर जा रहा था, उन्हें लगा कि ट्रैक्टर लेकर निकल जाएगा। लेकिन अंडरपास के बीचों-बीच जल जमाव में बुरी तरह फंस गया। इसके बाद घंटों तक वही फंसा रह गया। काफी मशक्कत के बाद ट्रैक्टर को पानी से निकाला गया। इसके बाद ट्रैक्टर चालक ने राहत की सांस ली। इसके बाद बाइक या अन्य वाहन से आने जाने वाले लोगों को भी काफी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बता दें कि अंडरपास निर्माण के बाद हाल ही में अचानक ही रेलवे के द्वारा फाटक को स्थाई रूप से बंद कर दिया गया। जिसका ग्रामीणों ने उसी रात काफी विरोध किया। लेकिन रेलवे ने ग्रामीणों की एक भी नहीं सुनी। ग्रामीणों ने रेलवे के अधिकारियों को समझाने की हर कोशिश की। लेकिन ग्रामीणों की बातों को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया गया। इसके बाद भी ग्रामीणों ने रेलवे फाटक को खुलवाने की कोशिश जारी रखी। ग्रामीण के प्रयास से रेलवे ने दोबारा स्थल का जांच भी कराया। जिन-जिन बिंदुओं पर ग्रामीणों ने तर्क रखा था, उन सारे बिंदुओं पर जांच किया गया। अंडरपास से फायर ब्रिगेड के वाहन या एम्बुलेंस को निकालने का प्रयास किया गया। लेकिन प्रयास असफल रहा। जिसका अंदाजा ग्रामीणों को पहले ही था और ग्रामीणों ने साफ तौर पर कहा था कि फाटक बंद होने से अंडरपास के रास्ते फायर ब्रिगेड या एम्बुलेंस पार नहीं हो पायेगा। इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ेगा। इस बिंदु पर विशेष रूप से स्थल जांच के बाद रेलवे की ओर से फाटक को खोलने का आश्वासन भी मिला। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी फाटक को नहीं खोला गया। फाटक के बंद होने के बाद अंडरग्राउंड ही ग्रामीणों के लिए एकमात्र मार्ग रह गया है। इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। रेलवे के इस कदम से ग्रामीणों में नाराजगी भी देखी जा रही है। इस पर रेलवे को जल्द ही ठोस कदम उठाने होंगे। तभी ग्रामीणों की परेशानी दूर होगी। अन्यथा खासकर बरसात के मौसम में ग्रामीणों के सामने अंडरपास के रास्ते गुजरने की चुनौती बनी रहेगी।
