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पाकुड़: बीजेपी के लिए अनुकूल नहीं रहा साल 2024 का राजनीतिक सफर, उम्मीदों पर फिर गया पानी

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Gunjan Saha
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कृपा सिंधु बच्चन@समाचार चक्र
पाकुड़। झारखंड के राजमहल लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के लिए साल 2024 का राजनीतिक सफर अनुकूल नहीं रहा। इस साल बीजेपी को लोकसभा के साथ ही विधानसभा में भी करारी हार मिली। लगातार दो बार राजमहल विधानसभा की जीत भी भाजपा के हाथों से 24 में फिसल गई। लोकसभा चुनाव में सांसद विजय हांसदा ने जीत की हैट्रिक लगाई और भाजपा की उम्मीदों पर फिर से पानी फेर दिया। पाकुड़ जिले के तीनों विधानसभा में लिट्टीपाड़ा, महेशपुर और पाकुड़ विधानसभा सीट पर इंडिया गठबंधन ने जीत की परंपरा को कायम रखा। लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने पहली बार पूर्व मंत्री एवं झारखंड आंदोलनकारी कद्दावर नेता स्वर्गीय साइमन मरांडी के परिवार का टिकट काटा। तथा सिटिंग विधायक की टिकट भाजपा से घर वापसी कर झामुमो में आये हेमलाल मुर्मू को लिट्टीपाड़ा का टिकट थमा दिया। सार्वजनिक रूप से दिनेश मरांडी ने मुखर हो कर पार्टी के निर्णय का विरोध किया , बावजूद इसके पूर्व मंत्री स्वर्गीय साइमन मरांडी के विधायक बेटे दिनेश मरांडी का टिकट कटने से झारखंड मुक्ति मोर्चा को कोई नुकसान नहीं हुआ बल्कि इस बार भी बंपर जीत हासिल हुई। लेकिन सिटिंग विधायक के रूप में टिकट कटने के बाद दिनेश मरांडी की राजनीतिक विरासत कमजोर जरूर हो गई। महेशपुर विधानसभा सीट से पाकुड़ जिले में पुलिस विभाग में बतौर एसडीपीओ सेवा में रहे नवनीत एंथोनी हेंब्रम ,नौकरी से इस्तीफा देकर बड़ी उम्मीद लेकर बीजेपी में शामिल हुए और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता प्रो स्टीफन मरांडी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन इस बार भी ना तो बीजेपी को जीत की मलाई चखने को मिला और ना ही नवनीत एंथोनी हेंब्रम के विधायक बनने के सपने पूरे हुए। पाकुड़ विधानसभा सीट से बीजेपी ने आजसू को समर्थन जताकर जीत हासिल करने का सपना जरूर देखा। लेकिन यहां भी बीजेपी या आजसू को मुंह की खानी पड़ी। पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का अभेद किले के रूप में स्थापित करने वाले पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के साथ हुए घटनाक्रमों ने कांग्रेस को और भी मजबूत बनाने का काम किया। पाकुड़ सीट पर कांग्रेस ने आलमगीर आलम की धर्मपत्नी निसात आलम को चुनाव मैदान में उतारा और इतिहास रच दिया। इसके लिए कोंग्रेसी कार्यकर्ताओं ने एकजुटता का परिचय दिया और आलमगीर आलम के पुत्र तनवीर आलम ने कुशल चुनाव संचालन का परिणाम देखने को मिला।राजमहल लोकसभा क्षेत्र के अंदर राजमहल विधानसभा सीट पर भी 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा। इस सीट पर बीजेपी के सिटिंग विधायक अनंत ओझा को हार का सामना करना पड़ा। राजमहल विधानसभा सीट से पहली बार जीत हासिल कर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी ने विधायक बनने का गौरव हासिल किया। हांलांकि पूरे संथाल परगना में घुसपैठ को मुद्दा बना चुनाव लड़ने वाले भाजपा ने बहुत उम्मीद पाल रखी थी। लेकिन राजमहल और गोड्डा विधानसभा सीट भी नहीं बचा पाना , भाजपा को निराश कर गया। एक तरह से पूरे संथाल परगना में भाजपा को निराशा हाथ लगी। खासकर साहेबगंज और पाकुड़ जैसे सीमाई जिलों में भी भाजपा के घुसपैठ के मुद्दे को मुंह की खानी पड़ी।इस तरह साल 2024 बीजेपी के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा। पाकुड़ जिला के तीनों विधानसभा के साथ-साथ राजमहल लोकसभा के अंदर राजमहल विधानसभा सीट पर भी बीजेपीको तगड़ा झटका लगा।

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