अबुल काशिम@प्रभात मंत्र
पाकुड़। अंशु कला केंद्र के संचालक सुरजीत घोष का पांच साल का पुत्र संदीप घोष बिना हेलमेट के बाइक पर नहीं बैठते। पिता के साथ बाइक से ट्यूशन जाना हो या फिर स्कूल, हेलमेट जरुर पहनते है। इतना ही नहीं घर से बाहर कहीं भी निकलना हो, चाहे दूरी कितनी भी कम हो, बिना हेलमेट बाइक पर बैठना संदीप को बिल्कुल भी पसंद नहीं है। हालांकि संदीप ने यह सब पिता सुरजीत से ही सीखा है। एक मुलाकात में सुरजीत घोष ने बताया कि संदीप डीएवी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई करता है। वह यूकेजी का छात्र है। मैं रोजाना बाइक से ही स्कूल छोड़ने या लेने जाता हूं। इस दौरान मैं और संदीप हेलमेट बिल्कुल भी नहीं भूलते। अगर किसी दिन जल्दबाजी में भूल भी गए तो बेटा संदीप याद दिलाता है। बिना हेलमेट के बिल्कुल भी निकलने नहीं देता और वह खुद भी हेलमेट पहनता है। मैं जब तक बाइक निकालता हूं, तब तक संदीप हेलमेट लेकर तैयार रहता है। उन्होंने बताया कि कुछ पल के लिए भी बाजार जाना हो या दूसरा किसी जगह जाना हो, तब भी हेलमेट नहीं छोड़ते है। वहीं संदीप ने हेलमेट पहनने के सवाल पर बहुत ही मिठास भरे शब्दों में कहा कि हेलमेट से चोट नहीं लगती और धूप से भी बचाता है। मेरे टीचर भी स्कूल में सीखाते है कि बाइक में सफर के दौरान हेलमेट जरुर पहनना चाहिए। इसलिए मैं हेलमेट नहीं भूलता हूं। एक तरफ युवाओं से लेकर बड़ों को भी हेलमेट का इस्तेमाल किसी बोझ की तरह लगता है और बिना हेलमेट के बाइक दौड़ाते है। दूसरी तरफ यूकेजी का छात्र संदीप हेलमेट के बिना बाइक पर नहीं बैठता है। यहां तक कि कभी कभार पिता को भी हेलमेट याद दिलाता है। ऐसे में कह सकते हैं कि जिन्हें हेलमेट बोझ सा लगता हो, उन्हें संदीप से सबक लेना चाहिए। यूं कहे कि यूकेजी का छात्र पांच साल का संदीप घोष बिना हेलमेट बाइक चलाने वालों के लिए आइना है।