अबुल काशिम
पाकुड़। मेरे अब्बू को किसलिए मारा, किसने मारा, मुझे उसे देखना है, उसे पकड़ कर लाओ। रोती-बिलखती एक बच्ची की आवाज आई। भीड़ बच्ची को घेर रखा था। लोग बच्ची को ढांढस बंधा रहे थे। उस बच्ची के साथ और भी छोटे-छोटे बच्चे थे। मां भी बच्चों के साथ थी। एक दूसरे से लिपट कर बस रोए जा रहे थे। इन्हें बिलखते देख लोग अपनी आंखों से आंसू रोक नहीं पा रहे थे। यह नजारा मुफस्सिल थाना परिसर का था। दरअसल गुरुवार को सुबह करीब दस से ग्यारह बजे के बीच आपसी विवाद में चांचकी गांव में एक व्यक्ति को पीट-पीटकर बुरी तरह जख्मी कर दिया गया था। परिजन घटना के बाद नाजुक हालत में घायल हबिबुर शेख (36 वर्ष) को इलाज के लिए बंगाल लेकर गए। पत्नी छोटे-छोटे बच्चों के साथ घर पर ही थी। पत्नी और बच्चों की निगाहें बस मोबाइल पर टिकी थी कि शायद कोई राहत की खबर आ जाए। हालत बेहद गंभीर थी, फिर भी आश लगाए रात भर जगी रही। अगले दिन कोलकाता से सुबह करीब दस बजे मोबाइल की घंटी बजते ही पत्नी अजमीरा बीवी और बच्चों की जान निकल गई। जिस बात का डर था, आखिरकार वही हुआ। मोबाईल पर राहत की नहीं, बल्कि हबिबुर के दुनिया से रुखसत की खबर थी। मौत की खबर आते ही पत्नी अजमीरा बीवी और बच्चों की चीख-पुकार से मुहल्ला गूंज उठा। माहौल पूरी तरह गमगीन हो गया। हबिबुर की मौत की खबर पर लोग आक्रोशित हो गए। आरोपियों के घर के पास विरोध कर रहे आक्रोशित लोगों को थाना प्रभारी संजीव कुमार झा ने समझा बूझाकर शांत कराया और कड़ा एक्शन लेने का भरोसा दिलाया। थाना में घटना को लेकर कागजी कार्रवाई चल रही थी। इस दौरान थाना परिसर में ग्रामीणों की भीड़ लगी थी। इसी बीच एक टोटो से मृतक हबिबुर शेख की पत्नी अजमीरा बीवी बच्चों के साथ पहुंचती है। लोग टोटो की तरफ दौड़ती है, टोटो के अंदर बैठी पत्नी अजमीरा बीवी रोती-बिलखती बच्चों को लेकर उतरती है और बच्चें फफक-फफक कर रो रहे होते है। बच्चों को टोटो से उतारकर बैठाया जाता है। इसी दौरान बदहवासी में छोटी-छोटी बच्चियां बार-बार यही कह रही है कि मेरे अब्बू को किसलिए मारा, किसने मारा, मुझे उसे देखना है, उसे पकड़ कर लाओ, मेरे अब्बू का क्या कसूर था, मेरे अब्बू को मारने वालों को फांसी दो। ये शब्द और मासूमियत भरी बच्चों के चेहरों ने वहां मौजूद लोगों की आंखों में आंसू ला दिया। लोग बच्चों को ढांढस बंधाने लगे। कोई बच्चों के आंसू पोंछने लगा, तो कोई सर पर हाथ फिराने लगे। घटना से बच्चों के दिलो-दिमाग में कितनी गहरी चोट लगी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भीषण गर्मी में रोते-रोते बच्चों के हालत खराब हो रहे थे, फिर भी पानी तक पीने को तैयार नहीं थे। बस कातिलों को पकड़ कर लाने और फांसी दिलाने की जिद कर रहे थे। लोगों के काफी समझाने के बाद ही बच्चें थोड़ा शांत हुए। थाना प्रभारी संजीव कुमार झा खुद बच्चों के पास गए और बच्चों को ढांढस बंधाते हुए कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया। इस दौरान माहौल पूरी तरह गमगीन हो गया था। बता दें कि मृतक हबिबुर शेख अपने पीछे पत्नी अजमीरा बीवी और सात बच्चों को छोड़ गए हैं। बड़ी बेटी रुमा खातून 16 साल की है और बेटा शमीम शेख 14 साल, बेटी माफिदा खातून 9 साल, आबिदा खातून 8 साल, सबिना खातून 5 साल, बेटा सफिउर शेख 3 साल, बेटी आसफिहा खातून 2 साल और सबसे छोटी बेटी आफिफा खातून 2 महीने की है।