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Maqsood Alam
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पिता करते थे घड़ी मरम्मती का कार्य,बेटे ने पास की नीट परीक्षा,अब बनेगा डॉक्टर 

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Gunjan Saha
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मकसूद आलम@समाचार चक्र

पाकुड़-जिंदगी में कुछ पाना हो तो खुद पर ऐतबार रखना,सोच पक्की और कदमों में रफ़्तार रखना. कामयाबी मिल जाएगी एक दिन निश्चित ही तुम्हें,बस खुद को आगे बढ़ने के लिए तैयार रखना.यह लाइन पाकुड़ जिले दादपुर पंचायत के एक छोटा सा गांव कुसमाडांगा के सादिक हुसैन पर सटीक बैठता है.सादिक ने नीट क्वालीफाई कर अपने गांव ही नहीं बल्कि अपने समाज का मान बढ़ाया.दरअसल,बीते दिन नीट का रिजल्ट जारी कर दिया गया.मेडिकल में दाखिला लेने के लिए देश भर के तमाम बच्चे नीट का एग्जाम दे रहे थे.इसी कड़ी में एनटीए ने टॉपर्स और क्वालीफाई करने वाले बच्चों की सूची भी जारी कर दी है.इस सूची में पाकुड़ सदर ब्लॉक के कुसमाडांगा गांव के मोहम्मद शमीम के छोटे पुत्र सादिक हुसैन का नाम शामिल हैं.जिसे 670 मार्क्स मिले हैं.सामान्य परिवार में जन्मे मो सादिक हुसैन के पिता मोहम्मद शमीम कोटालपोखर में छोटे से घड़ी दुकान चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता है.सादिक की माता हॉउस वाइफ है.सादिक ने मैट्रिक और 12वीं की पढ़ाई शाहीन अकादमी कर्नाटक से किया है.सादिक ने ज़ब पहली बार नीट की परीक्षा दी थी,परंतु रैंक कम होने के कारण एडमिशन नहीं कराया था.दूसरी बार में अच्छे रैंक हासिल किया है.जिसके बाद पूरे परिवार सहित मोहल्ले में खुशी की लहर है.उल्लेखनीय है सादिक के 75 वर्षीय दादा हाजी मोहम्मद मोईन पेशे से किसान है. सादिक ने मैट्रिक की पढ़ाई से पूर्व साहेबगंज के मदरसा फ़ैजानुल कुरान से हाफिज की पढ़ाई भी की है. उन्हें तीस पारा कुरान शरीफ मुकम्मल याद भी है.सादिक ने बताया की मुझे उम्मीद ही नहीं थी की हम जैसे साधारण परिवार के बच्चे डॉक्टर बन पाएंगे लेकिन ज़ब दिल में लगन हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है. हमने अपना पढ़ाई ईमानदारी से कर रहा था और अल्लाह ने मुझे इसका फल दे दिया है. डॉक्टर बनने के बाद मेरा जीवन गरीब मरीजों को निःशुल्क सेवा में रहेगा.

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