कृपा सिंधु बच्चन की रिपोर्ट
पाकुड़। पिछले वर्ष जून के महीने में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद पुलिस ने फेंसीडील सिरफ की बड़ी खेप पकड़ी। ये फेंसीडील भारत से तस्करी कर बंग्लादेश ले जाया जा रहा था। फेंसीडील सिरफ में अल्कोहल और नशीली दवाओं की मात्रा इतनी ज्यादा रहती है, कि इसकी खुमारी मझोले शराब की बोतल से कम नहीं होती, जिसे भारत में अद्धा खम्भा के नाम से शराबियों में प्रचलित है। नशे के शौकीन बंग्लादेश में भी कम नहीं है, नतीजतन यहां से फेंसीडील सिरफ वहां भेजा जाता है, जो खांसी की दवाई के नाम पर आसानी से वहां शौकीनों को उपलब्ध हो जाता है। रही बात शराब की तो इस्लामिक देश होने के कारण वहां ये हराम है और आसानी से शराब वहां उपलब्ध नहीं होता। कुछ कॉस्मेटिक, नमक सहित कई अन्य सामानों और गौ तस्करी के साथ फेंसीडील सिरफ भी बंग्लादेश भारत के सीमाई क्षेत्र से किया जाता है और वहां से ड्रग्स की तस्करी कर सीमा के इस पार लाया जाता है।फेंसीडील सिरफ झारखंड से भी आपूर्ति की जाती है, जो ट्रांसपोटिंग कम्पनियों के द्वारा झारखंड के सीमाओं पर बसे शहरों में लाया जाता है। कुल मिलाकर सीमा के दोनों और एक दूसरे की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर, नशीले पदार्थो की आपूर्ति की जाती है। उसके बाद लगातार पश्चिम बंगाल में कई खेप ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की पकड़ी गई। कभी कभी पुलिस की गिरफ्त में आ ही जाती हैं।लेकिन जो बड़ी मात्रा में नहीं पकड़ी गईं वो पाकुड़ और पाकुड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रग्स विक्रेताओं तक पहुंची तथा यहां के युवाओं के रगों में उतर गईं। नशें की लत में बीमार होती युवा पीढ़ी में इसकी पूर्ति के लिए स्वाभाविकता के साथ आक्रोश और अपराध की प्रवित्ति घर करने लगी। इसके साथ ही विक्रेता संपन्न और एडिक्टेड युवा पीढ़ी और उनके परिवार पीड़ित के रूप में उभरने लगे। पाकुड़ के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहर के गलियारों तक में ड्रग्स ने पैर फैला रखा है। कई बार पाकुड़ के विभिन्न थानों के क्षेत्र में नशीले पदार्थ पुलिस की गिरफ्त में भी आये , लेकिन ये नाकाफ़ी सावित रहे। ऐसी बरामदगी इस बात के सबूत हैं कि ऐसा होता आया है। जिसमें संदेह की सुई की ओर इंगित करती हैं।