ललन झा @समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा । बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, चिकित्सा,मुआवजा व क्षति-पूर्ति राशि का विधिवत भुगतान, रोजगार आदि की सुविधा से गत छह वर्षों से वंचित रखने के विरुद्ध पचुवाड़ा नॉर्थ कोल ब्लॉक के विस्थापित ग्रामीणों ने कोयले का खनन-परिवहन पिछले करीब चालीस घंटों से पूरी तरह ठप कर दिया है। खासकर नॉर्थ कोल ब्लॉक के सभी गांवों के विस्थापितों में डब्लूबीपीडीसीएल और बीजीआर कंपनी के खिलाफ असंतोष उबल पड़ा है। रविवार दोपहर से कोयला वाहक डंपरों का परिचालन ठप कर दिया गया है।खादानों में चौबीस घंटे घनघनाने वाली हैवी और लाइट मशीनों को पूर्णतः रोक दिया गया है। दुमका-पाकुड़ मुख्य पथ पर कोयला लोड डंपरों की लंबी कतार पिछले चालीस घंटों से लगी हुई है। कोयला परिवहन के पूरी तरह से ठप हो जाने से सरकार को अबतक अनुमानित रूप से सात-आठ करोड़ का घाटा हो चुका है।
विस्थापित एमओयू को दिखाने की डिमांड पर अड़े रहे, वार्ता रही विफल
सोमवार देर शाम तक प्रशासन की तरफ से एसी एसके सुरीन, एसडीओ साइमन मरांडी, एसडीपीओ विजय कुमार, डीएमओ राजेश कुमार, सीओ औसाफ़ अहमद खान, बीडीओ प्रमोद कुमार गुप्ता, इंस्पेक्टर सह पीएस इंचार्ज अनुप रोशन भेंगरा तथा डब्लूबीपीडीडीएल और बीजीआर प्रबंधन से रामाशीष चटर्जी व अनिल रेड्डी की मौजूदगी में चिलगो फुटबॉल मैदान पर विस्थापितों से करीब दो घंटे तक चली वार्ता विफल रही। एसी व एसडीओ ने विस्थापितों को मनाने का हर संभव प्रयास किया किन्तु वो अपनी मांगों पर डंटे रहे। विस्थापितों ने कंपनी प्रबंधन पर मनमानी और वादाखिलाफी का का आरोप लगाया। बीजीआर को हर फ्रंट पर झूठा करार दिया। कहा कि कंपनी अबतक कोयले का खनन अवैध रूप से कर रही है। हमलोग कंपनी के रवैये से हताश हो चुके हैं। एमओयू का आंशिक अनुपालन भी नहीं हो रहा है। दो टूक शब्दों में कहा कि प्रशासन व प्रबंधन हमलोगों को पहले एमओयू दिखाए तभी बात बनेगी। प्रशासन व कंपनी प्रबंधन ने एमओयू के लिए 10-15 दिनों का समय मांगा और कहा कि तत्काल कोयला परिचालन शुरू करने दीजिए किन्तु विस्थापित नहीं माने। कहा : हमलोग अब कंपनी के झांसे में नहीं आने वाले हैं। एमओयू की कॉपी जबतक विस्थापितों के सामने नहीं लाई जाएगी तबतक कोल ट्रांसपोर्टिंग ठप रहेगा।
विस्थापितों ने कंपनी विरोधी नारे भी लगाए
डब्लूबीपीडीसीएल व बीजीआर के मनमानी से आजिज मौजूद विस्थापितों ने कंपनी विरोधी नारे लगाए। डब्लूपडीसीएल हाय-हाय, आदिवासियों का शोषण बंद करो आदि नारे लगाए। इस दौरान आंद्रियास मूर्मू, सुरेश टुडू, रमेश मूर्मू, कोर्नेलियुस हेम, मुन्ना टुडू, रंजन मरांडी, प्रधान मूर्मू, मार्टिन मूर्मू, बोनेश्वर टुडू, मुंशी टुडू,नाजीर सोरेन, वकील बेसरा , सनातन हेम्ब्रम, महातन टुडू, शिवधन हेम्ब्रम, राजू मूर्मू, जॉन हांसदा आदि सहित सभी गांवों के विस्थापित महिला-पुरुष मौजूद थे।