अबुल काशिम@समाचार चक्र
पाकुड़। जिला प्रशासन नशा मुक्ति के लिए अभियान चला रखा है। पूरे जिले में हाल के दिनों में रथ रवाना कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। नशे के सेवन से बचने की अपील की जा रही है। प्रशासन की ओर से पंचायत प्रतिनिधियों खास तौर पर मुखिया को जागरूकता के लिए सामने लाया जा रहा है। इस अभियान से कितने मुखिया या पंचायत प्रतिनिधि जुड़े, यह तो प्रशासन ही बता सकती है। लेकिन पाकुड़ जिले के चांदपुर पंचायत के मुखिया दंपत्ति इस अभियान को एक दशक से सफलतापूर्वक चला रखा हैं। मुफस्सिल थाना से करीब तीन किलोमीटर दूर और बंगाल सीमा से सटा चांदपुर पंचायत अब नशा मुक्ति का मिसाल बन चुका है। पंचायत में अब शराब की खरीद बिक्री बिल्कुल भी नहीं होती है। यूं कहे कि मुखिया दंपत्ति के प्रयासों से शराब बिक्री पर पूर्ण विराम लग चुका है। अब तो लोग मुखिया दंपत्ति को नशा मुक्ति का प्रेरणास्रोत बता रहे हैं। पिछले एक दशक से पंचायत में शराब ही नहीं गांजा, ड्रग्स जैसे नशों पर भी सख्त पाबंदी है। यहां तक की बाहर से शराब पीकर पंचायत में घुसने पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। इसमें मुफस्सिल थाना की पुलिस और गांव के युवाओं का भी भरपूर सहयोग रहा है।
नशामुक्ति का साफ दिख रहा बदलाव
पंचायत में नशा मुक्ति का बदलाव साफ दिख रहा है। पारिवारिक कलहों में आई कमी सबसे बड़ा बदलाव माना जा सकता है। पहले शराब के लत में डूबे लोगों के घर में पारिवारिक कलहों से पूरे पंचायत के लोग तंग आ जाते थे। लेकिन अब ऐसे मामलों में काफी कमी आई है। नशाखोरी के चलते युवाओं को सबसे बड़ा नुकसान हो रहा था, अब नशा मुक्ति से युवाओं की जिंदगी बदल गई है। नशा का लत छोड़कर सैंकड़ों युवा मुख्य धारा में लौट आए हैं। पंचायत में छोटी-छोटी चोरी जैसी अपराधिक घटनाएं भी नहीं होती है। नशा मुक्ति के बाद से जुआ का खेल भी खत्म हो गया है। जिसमें खासतौर पर युवा वर्ग बर्बाद हो रहे थे।
साल 2012-13 से शुरू हुआ नशा मुक्ति अभियान
सैंकड़ों लोग हो चुके हैं दंडित
पंचायत में शराबबंदी के बाद भी सैंकड़ों ऐसे मामले आए हैं, जिसमें या तो शराब के नशे में पकड़े गए हैं या फिर शराब बेचते या फिर बाहर के लोगों के द्वारा पंचायत से होकर शराब ले जाते पकड़े गए। ऐसे लोगों को पंचायत भवन में लाकर दंडित किया गया है। शुरुआती दिनों में शराबबंदी पर पूरी तरह अमल कराना थोड़ा मुश्किल जरूर हो रहा था, लेकिन बाद में इस पर पूरी तरह से विराम लग गया। इधर 21 जून 2025 को भी रात करीब 10:30 बजे एक व्यक्ति को शराब बिक्री करते हुए पकड़ा गया। उन्हें अगले दिन पंचायत भवन में बुलाकर दंडित किया गया। इस तरह आज भी न सिर्फ शराब बंदी, बल्कि गांजा और ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थ की खरीद बिक्री पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है।
मुखिया पूर्णेन्दु सरकार ने बताया कि साल 2012-13 से नशा मुक्ति अभियान शुरू किया था। इससे पहले पंचायत में शराब की खुब बिक्री होती थी और लोग शराब के नशे में डूबे रहते थे। इसका समाज पर बुरा असर पड़ रहा था। तब मैंने गांव के कुछ युवाओं से शराबबंदी को लेकर चर्चा की। इसके बाद पंचायत भवन में बैठक बुलाई गई और चांदपुर युवा समाज कल्याण समिति का गठन किया गया। जिसमें धीरे-धीरे और युवकों को जोड़ा गया। मुखिया ने बताया कि समिति में शामिल सारे युवाओं ने नशाबंदी का संकल्प लिया। बैठक में निर्णय लिया गया कि पंचायत में शराब बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। यहां तक की बाहर से शराब पीकर भी गांव घुस नहीं पाएंगे। इसके बाद युवाओं को अलग-अलग टोली में बांट दिया गया। यह टोली रोस्टर के हिसाब से दिन-रात गांव में घूमते। ये टोलियां पूरी रात जाग जाग कर शराबियों पर कड़ी नजर रखते। इस दौरान शराब के नशे में या शराब बेचते या खरीदने पकड़े जाने की सूचना युवाओं की टोली समिति को देती और फिर वैसे लोगों को पकड़ कर पंचायत लाकर सामाजिक दंड दिया जाता। यह कारवां धीरे-धीरे बढ़ता चला गया और लोगों में एक डर का माहौल बन गया। हालांकि शराबबंदी से लोगों को फायदे भी समझ में आने लगे। लोगों में यह समझदारी भी कहीं ना कहीं शराबबंदी की सफलता में काफी काम आया।
कौन है मुखिया दंपत्ति
सदर प्रखंड के चांदपुर पंचायत में नशा मुक्ति से बड़ा बदलाव लाने वाले शिक्षित मुखिया का नाम पूर्णेन्दु सरकार और उनकी धर्मपत्नी पूर्व मुखिया छंदा सरकार है। पहली बार साल 2010 में पूर्णेन्दु सरकार ने पंचायत चुनाव लड़ा और कामयाबी हासिल की। पंचायत के लोगों ने उन्हें मुखिया के पद पर मौका दिया और अब तक लोगों के भरोसे को जीतने में सफल रहा है। पूर्णेन्दु सरकार ने लोगों का भरोसा जितने में किस कदर कामयाब रहा, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, साल 2015 के पंचायत चुनाव में जब चांदपुर पंचायत में मुखिया का पद महिला के लिए सुरक्षित कर दिया गया, तब लोगों ने उनकी धर्मपत्नी छंदा सरकार को चुनाव लड़ाया और मुखिया बनाने का काम किया। पिछले पंचायत चुनाव में जब चांदपुर पंचायत से महिला का रिजर्व हट गया, तब फिर से पूर्णेन्दु सरकार को चुनाव लड़ने का मौका मिला और इस बार भी उन्होंने कामयाबी हासिल की। मिलनसार स्वभाव के पूर्णेन्दु सरकार किसी भी बात को किसी के भी सामने मुखर होकर रखते हैं। उनका यह अंदाज लोगों को शायद खुब पसंद है। जिसका नतीजा है कि लोग उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनते आ रहे हैं।
प्रशासन ने नहीं निभाया विशेष पैकेज का वायदा
मुखिया पूर्णेन्दु सरकार का कहना है कि नशाबंदी अभियान की सफलता शुरुआत के चार-पांच सालों में ही दूसरे पंचायतों और प्रशासन के कानों तक पहुंच गई। इसके बाद उस वक्त प्रशासन की ओर से पंचायत को विशेष पैकेज देने का मौखिक आश्वासन दिया गया। हालांकि प्रशासन की ओर से उस आश्वासन को पूरा नहीं किया गया।