समाचार चक्र संवाददाता
पाकुड़। लोकसभा चुनाव में ड्यूटी को लेकर डीसी मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने गर्भवती महिला कर्मी, छोटे बच्चों वाली महिला कर्मी और दिव्यांग कर्मियों को बड़ी राहत दी है। गर्भवती कर्मियों से चुनाव ड्यूटी नहीं लिया जाएगा। इनके अलावा छोटे बच्चों वाली महिला कर्मी और दिव्यांग कर्मी भी चुनाव ड्यूटी में नहीं होंगे। उपायुक्त मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने गर्भवती महिला कर्मियों की परेशानी और भावनाओं का कद्र करते हुए उन्हें चुनाव कार्यो से मुक्त करने की बात कही है। उपायुक्त मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने कहा है कि जो महिला कर्मी गर्भावस्था में है या जिन महिला कर्मियों के छोटे-छोटे बच्चे हैं, वो चुनाव कार्यो से दूर रहेंगे। दिव्यांग कर्मियों की परेशानी को देखते हुए उनसे भी चुनाव ड्यूटी नहीं कराया जाएगा। लेकिन जो कर्मी स्वास्थ्य का बहाना बनाकर चुनाव ड्यूटी से भागना चाहते हैं, उन कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी। उल्लेखनीय है कि उपायुक्त ने दो दिन पहले ही स्वास्थ्य का बहाना बनाकर चुनाव ड्यूटी से भागने वाले कर्मियों के विरुद्ध अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई का आदेश जारी किया था। ये वही कर्मी है जिन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए आवेदन के जरिए चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने की मांग की थी। उपायुक्त ने सोशल मीडिया एक्स पर एक अकाउंट से पोस्ट किए गए सवालों का भी स्पष्ट जवाब देते हुए कहा है कि गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों वाली महिलाओं, दिव्यांगों को पहले से ही चुनाव ड्यूटी से छूट दी गई है। यह आदेश उन लोगों के लिए है, जो मेडिकल स्थिति के बहाने चुनाव ड्यूटी से भागना चाहते हैं। यह समझना चाहिए कि चुनाव एक बहुत बड़ा काम है। जिसके लिए बहुत अधिक जनशक्ति की आवश्यकता होती है।
क्या है मामला
लोकसभा चुनाव से संबंधित कार्यों से मुक्त करने की मांग करते हुए विभिन्न विभागों से कई कर्मियों ने आवेदन दिया था। जिसमें स्वास्थ्य का हवाला देकर ड्यूटी नहीं कराने की मांग की गई थी। उपायुक्त ने इन कर्मियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए मेडिकल टीम का गठन किया था। मेडिकल टीम के रिपोर्ट के मुताबिक कई ऐसे कर्मी पाए गए जो अनफिट थे। अनफिट कर्मियों को लेकर उपायुक्त मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने विभिन्न विभागों के कार्यालय प्रधान को आदेश जारी कर उनके विरुद्ध अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा। उपायुक्त ने जारी आदेश में कहा है कि जो कर्मी अनफिट है, वो निसंदेह अपने दैनिक सरकारी कार्यों का भी निर्वहन नहीं कर पाते होंगे। ऐसे कर्मी बिना कार्य किए प्रत्येक माह वेतन की राशि प्राप्त कर रहे हैं। जिससे सरकारी खजाने पर बेवजह भार पड़ रहा है, जो स्वीकार्य नहीं है। उपायुक्त मृत्युंजय कुमार बरनवाल ने इन कर्मियों के विरुद्ध चार सप्ताह के अंदर नियम अनुसार अनिवार्य सेवा निवृत्ति का प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा है।