Homeपाकुड़ईश्वर में आस्था, एकता, समानता, प्रेम और खुशी का संदेश देता है...
Maqsood Alam
(News Head)

ईश्वर में आस्था, एकता, समानता, प्रेम और खुशी का संदेश देता है होली

पर्यावरण संरक्षण व स्वक्षता भी सिखाती है होली

समाचार चक्र की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें
Gunjan Saha
(Desk Head)

ललन झा@समाचार चक्र
अमड़ापाड़ा। प्रेम, उमंग और समानता का संदेश देने वाला हिंदुओं का महान पारंपरिक त्योहार होली 14 मार्च-शुक्रवार को मनाया जाना है। दो दिनी यह त्योहार बसंत ऋतु में फाल्गुन महीने के पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगोत्सव होली हमें जीवन में कई सीख देता है।

अच्छाई की जीत, समानता एकता, खुशी और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है होली

होली अच्छाई की जीत का पैगाम तो देता ही है साथ-साथ एक होने का संदेश भी मानवता को देता है। इस दिन सभी ईर्ष्या-द्वेष को भूल एक-दूसरे से मिलते हैं और रंग-गुलाल खेलते हैं। परस्पर खुशी मनाते हैं। होली हमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल कर पर्यावरण को संरक्षित रखने का संदेश भी देता है। होली में हम एक-दूसरे पर रंग फेंकते हैं, इस वजह से इस दिन को सफाई और हाथ धोने का दिन भी माना जाता है। यह पर्व हमें अहंकार और अन्याय से बचने की सीख भी देता है।

भगवान में आस्था और भक्ति के साथ-साथ प्रेम व उल्लाष का प्रतीक पर्व है होली

यदि होलिका उत्पीड़न की प्रतीक है तो प्रह्लाद प्रेम और उल्लाष का प्रतीक है। प्रह्लाद ईश्वर में अपनी आस्था और विश्वास से तनिक भी नहीं डगमगाता है जबकि अग्नि में नहीं जलने का वरदान प्राप्त होलिका , प्रह्लाद को भष्म कर देना चाहती है। ऐसे में होली भगवान से प्रेम करने और उनपर अटूट विश्वास रखने की सीख मानव जाति को देता है।

होली की पौराणिक कथा

होली मनाने के पीछे की मान्यताएं तो कई हैं किंतु मुख्यतः पौराणिक कथा यह है कि हिरण्यकश्यप राक्षसराज थे। उनका पुत्र प्रह्लाद परम विष्णु भक्त था, जबकि हिरण्यकश्यप विष्णु को अपना शत्रु मानते थे। पिता ने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु भक्ति से रोकने का प्रायास किया, प्रह्लाद डगमग नहीं हुआ। हिरण्यकश्यप ने पुत्र को हजारों यातनाएं दीं किन्तु प्रह्लाद पर ईश्वर की कृपा बनी रही। अंत में विवश होकर राक्षसराज ने आग में न जलने का वरदान प्राप्त अपनी बहन होलिका को बालक प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश का आदेश दिया। किन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका का दहण होने लगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES

Recent Comments